उदासीनता
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
उदासीनता मानसिक अस्वस्थताजन्य एक लक्षण। इसमें रोगी अपने अंतर में अत्यधिक तनाव एवं संघर्ष का अनुभव करता है। फलत: उसके मन में हर विषय, हर वस्तु के प्रति विराग पैदा हो जाता है। किसी भी वस्तु में न तो उसकी रुचि रह जाती है और न ही किसी कार्य के प्रति उसका उत्साह जगता है। सामान्यत: भावसंवेगों की उद्दीप्त कर सकने की क्षमता रखनेवाली परिस्थितियाँ भी इस रोग के रोगी में संवेगात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में असमर्थ रहती हैं। सभी उत्तेजक रोगी के लिए निर्बल सिद्ध हो जाते हैं। यह असामयिक मनोभ्रंश अथवा मनोविदलन (स्किजफ्ऱोीनिया) का एक प्रमुख लक्षण है जिसमें रोगी आत्मकेंद्रित ही नहीं हो जाता बल्कि बाह्य जगत् से पूर्णत: उदासीन भी रहने लगता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 98 |