उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप
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विवरण | उच्च रक्तचाप को ही 'हाई ब्लड प्रेशर' या हाइपरटेंशन के नाम से जाना जाता है। |
अन्य नाम | हाई ब्लड प्रेशर / हाइपरटेंशन / हाई बी.पी. |
अवस्था | उच्च रक्तचाप को सिस्टोलिक रक्तचाप 140mm Hg के बराबर या उससे अधिक और/या डायस्टोलिक रक्तचाप 90mm Hg के बराबर या उससे अधिक के रूप में परिभाषित किया जाता है। |
संबंधित लेख | मधुमेह, अनिद्रा, अपस्फीत शिरा |
अन्य जानकारी | विश्व में पांच में एक वयस्क का रक्तचाप बढ़ा है। यह स्थिति स्ट्रोक और हृदय रोग से होने वाली आधी मृत्यु का कारण है। प्रतिवर्ष विश्वभर में उच्च रक्तचाप की जटिलताओं के कारण नौ दशमलव चार मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। उच्च रक्तचाप का निदान, उपचार एवं नियंत्रण विश्वभर में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य प्राथमिकता है। |
उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर (अंग्रेज़ी: High Blood Pressure/ Highpertension) का ही दूसरा नाम हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) है। हमारे शरीर में रक्त नसों में लगातार दौड़ता रहता है और रक्त के माध्यम से ही शरीर के सभी अंगों तक ऊर्जा और पोषण के लिए ज़रूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिन्स, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं। रक्तचाप उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है। सामान्यत: यह इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। चिकित्सकों के अनुसार 130/80 mmHg से ज्यादा रक्त का दबाव हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है।
परिचय
उच्च रक्तचाप को उच्च या बढ़े हुए रक्तचाप से भी जाना जाता है। इस स्थिति में रक्त वाहिकाओं में लगातार दबाव बढ़ जाता है। रक्त हृदय से शरीर के सभी भागों में रक्त वाहिकाओं के माध्यम से प्रवाहित होता है। हर बार हृदय धड़कता है, यह धमनियों के माध्यम से रक्त को शरीर में पहुंचाता है। रक्तचाप रक्त वाहिकाओं (धमनियों) की दीवारों के खिलाफ़ रक्त के दबाव से निर्मित होता है, क्योंकि इसे हृदय से पंप किया जाता है। यदि रक्त वाहिकाओं में दबाव अधिक होता है, तो हृदय को रक्त पंप में अधिक काम करना पड़ता है। यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो उच्च रक्तचाप हृदयाघात, हृदय की मांसपेशियों में वृद्धि और हृदय विफलता उत्पन्न कर सकता है। रक्त वाहिकाओं में उच्च दबाव के कारण सूजन (धमनीविस्फार) और हल्के धब्बे विकसित हो सकते हैं, जिससे अवरोधक (क्लाग) और टूटन की संभावना अधिक होती है। रक्त वाहिकाओं में दबाव के कारण मस्तिष्क में रक्त का रिसाव भी हो सकता है। इसके कारण स्ट्रोक हो सकता है। उच्च रक्तचाप के कारण गुर्दे की विफलता, अंधापन, रक्त वाहिकाओं का टूटना और संज्ञानात्मक हानि भी हो सकती है।
रक्तचाप को नापना
रक्तचाप मर्करी [1] रक्तचापमापी की मिलीमीटर[2] में मापा जाता है तथा आमतौर पर एक नंबर को दूसरे नंबर से तिर्यक (एक के नीचे दूसरे को) लिखा जाता है। रक्तचाप को दो माप में मापा जाता है। पहला उच्च नंबर सिस्टोलिक रक्तचाप है- जिसे ‘जब हृदय में संकुचन या धड़कन बढ़ जाती है तब रक्त वाहिकाओं में उच्च दवाब होता है’ से परिभाषित किया जाता है। दूसरा निम्न नंबर डायस्टोलिक रक्तचाप है- जिसे ‘जब हृदय की मांसपेशियों को आराम मिलता है, तब रक्त वाहिकाओं में निम्न दवाब होता है’ से परिभाषित किया जाता है। सामान्यत: रक्तचाप को सिस्टोलिक रक्तचाप 120mm Hg और डायस्टोलिक रक्तचाप 140mm Hg से परिभाषित किया जाता है।
उच्च रक्तचाप को सिस्टोलिक रक्तचाप 140mm Hg के बराबर या उससे अधिक और/या डायस्टोलिक रक्तचाप 90mm Hg के बराबर या उससे अधिक के रूप में परिभाषित किया जाता है।
विश्व में पांच में एक वयस्क का रक्तचाप बढ़ा है। यह स्थिति स्ट्रोक और हृदय रोग से होने वाली आधी मृत्यु का कारण है। प्रति वर्ष विश्व भर में उच्च रक्तचाप की जटिलताओं के कारण नौ दशमलव चार मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। उच्च रक्तचाप का निदान, उपचार एवं नियंत्रण विश्वभर में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य प्राथमिकता है।
लक्षण
उच्च रक्तचाप से पीड़ित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए इसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। कभी-कभी उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द, हृदय की धड़कन बढ़ना और नाक बहना जैसे लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज़करना खतरनाक हो सकता है, लेकिन उच्च रक्तचाप को सूचित करने के लिए इनका आश्रय लिया जा सकता है। उच्च रक्तचाप गंभीर चेतावनी संकेत है, जो कि यह दर्शाता है, कि जीवन शैली में बदलाव महत्वपूर्ण है।
कारण
उच्च रक्तचाप को प्राथमिक उच्च रक्तचाप तथा द्वितीयक उच्च रक्तचाप दो रूपों में वर्गीकृत किया गया है।
प्राथमिक या मूलभूत उच्च रक्तचाप
जब अंतर्निहित कारण को निर्धारित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार के उच्च रक्तचाप को "प्राथमिक मूलभूत रक्तचाप" कहा जाता है। यह उच्च रक्तचाप के वयस्क मामलों में 90-95% पाया जाता है। यह कुछ जोखिम वाले कारकों से जुड़ा है। यह पर्यावरण या आनुवंशिक कारणों के परिणामस्वरूप विकसित हो सकता है। मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग में आनुवंशिक घटक भी होते है तथा ये उच्च रक्तचाप में योगदान देते है।
द्वितीयक उच्च रक्तचाप
जब उच्च रक्तचाप के कारण को प्रत्यक्ष पहचान लिया जाता है। इस स्थिति को माध्यमिक उच्च रक्तचाप कहा जाता है। उच्च रक्तचाप के लगभग 2-10 प्रतिशत मामले निम्नलिखित कारण से होते हैं -
- रीनल पैरेन्काइमा रोग (2.5-6%),
- संवहनी कारण (.2-4%),
- एंडोक्राइन कारण (1-2%)
- एक्सोजनस/बहिर्जात (स्टेरॉयड लेना, मौखिक गर्भनिरोधक का उपयोग),
- एंडोजनस/अंतर्जात (प्राथमिक हाइपरएल्डोस्टीरोइस्म, कशिंग सिंड्रोम, फीयोक्रोमोसाइटोमा, कंजेनिटल एड्रेनल ह्यपरप्लासिया,
- ड्रग्स एवं टॉक्सिस (अल्कोहल, कोकेन, गैर-स्टेरायडल एंटी-इन्फ्लोमैट्री ड्रग्स (एनएसएआईडी), निकोटीन, डिकन्जेस्टेंट कंटेनिंग एफ़ेडरीने, लीकोरिस या एफ़ेडरीने कंटेनिंग हर्बल रेमेडीज़)।
- अन्य कारणों में गर्भावस्था के कारण उच्च रक्तचाप, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया शामिल हैं।
ज़ोखिम के कारण
उच्च रक्तचाप विकसित होने वाले ज़ोखिम के कारक निम्नलिखित हैं-
गैर-परिवर्तनीय ज़ोखिम के कारक
- पारिवारिक इतिहास- उच्च रक्तचाप परिवार में पहले से चला आ रहा हैं।
- बढ़ती उम्र - उम्र के साथ उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है।
- लिंग- युवा और मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में उच्च रक्तचाप बेहद सामान्य है, जबकि आधे से ज़्यादा महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद होने वाले परिवर्तन के कारण जीवन में उच्च रक्तचाप से पीड़ित होती है।
परिवर्तनीय ज़ोखिम के कारक
- शारीरिक गतिविधियों में कमी।
- अस्वास्थ्यकर आहार। अत्यधिक नमक और वसा युक्त आहार का सेवन तथा पर्याप्त मात्रा में फल व सब्जियां न खाना।
- अत्यधिक वज़न और मोटापा।
- ज़्यादा और अत्यधिक अल्कोहल का उपभोग।
- संभावित योगदान के कारक। ख़राब तनाव प्रबंधन, धूम्रपान और पैसिव स्मोकिंग (निष्क्रिय धूम्रपान) यानी सेकेंड हैंड स्मोकिंग, स्लीप एपनिया।
- पूर्व-उच्च रक्तचाप[3] भविष्य में उच्च रक्तचाप के विकास के ज़ोखिम को बढ़ाता है।
- मधुमेह - मधुमेह से पीड़ित लगभग साठ प्रतिशत लोगों को उच्च रक्तचाप भी होता है।
निदान
सभी वयस्कों को अपने रक्तचाप के स्तर के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। ऐसे कई प्रकार के डिवाइस होते हैं, जिनका उपयोग रक्तचाप मापने के लिए किया जाता हैं। ये इलेक्ट्रॉनिक, मर्करी और एनरॉइड डिवाइस होते हैं। डब्ल्यू एच ओ किफ़ायती एवं विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने की सिफ़ारिश करता है, जिनमें हाथ से रीडिंग्स चयन करने का विकल्प होता है। जब बैटरियां बंद हो जाती हैं, तब अर्ध-स्वचालित उपकरण हाथ से रीडिंग लेने में सक्षम होता हैं।
डब्ल्यू एच ओ सिफ़ारिश करता है, कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों[4] के पक्ष में मर्करी डिवाइस को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए। ऐनरॉइड उपकरण जैसे कि रुधिरदाबमापी/रक्तचापमापी (स्फीगमोमैनोमीटर) का उपयोग किया जा सकता है। यह उपकरण जांच के सही परिणाम प्रदर्शित कर रहा है, इसकी जांच के लिए हर छह महीनों में चिकित्सक या अन्य उपकरण पर रक्तचाप की जांच की जानी चाहिए तथा दोनों परिणामों की तुलना की जानी चाहिए। उपयोगकर्ताओं को इन उपकरणों से रक्तचाप मापने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
रक्तचाप प्रबंधन
सभी वयस्कों को अपने रक्तचाप की नियमित जांच रखनी चाहिए। यदि रक्तचाप अधिक है, तो उन्हें स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता की सलाह लेनी चाहिए। कुछ लोगों के लिए जीवन शैली बदलाव रक्तचाप नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त हैं। दूसरों के लिए ये जीवन शैली बदलाव अपर्याप्त हैं तथा उन्हें रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सक द्वारा प्रस्तावित दवा की आवश्यकता होती है।
जीवन शैली उपाय
- नमक में कमी। प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक का सेवन[5] करना।
- अल्कोहल का सीमित सेवन।
- फल और सब्जियों एवं कम वसा युक्त आहार का अधिक उपभोग।
- वज़न कम करना तथा इसे बनाए रखना।
- नियमित व्यायाम। उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों के लिए सप्ताह में पांच से सात दिन कम से कम तीस मिनट मध्यम-तीव्र गतिशील एरोबिक व्यायाम[6] करना।
- धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पादों का उपभोग छोड़ना।
- उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए आहार दृष्टिकोण[7]- डीएएसएच आहार योजना के लिए विशेष आहार की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय यह दैनिक एवं साप्ताहिक पोषण संबंधी लक्ष्य प्रदान करता है। इसलिए इस आहार योजना की सिफ़ारिश की जाती है।
- फल व सब्जियों और साबुत अनाज खाना।
- इसमें वसा रहित या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, मछली, मुर्गी/पोल्ट्री, फलियां, मेवा और वनस्पति तेल शामिल हैं।
- संतृप्त वसा से भरपूर आहार जैसे कि वसायुक्त मांस, कुल वसा[8] युक्त दुग्ध उत्पादों और नारियल, पाम कर्नेल[9]एवं ताड़ जैसे ट्रॉपिकल ऑयल से बचाव।
- शर्करा- मीठे पेय पदार्थों एवं मिठाईयों का कम से कम मात्रा में उपभोग।
- पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, रेशा और प्रोटीन से भरपूर आहार का उपभोग।
- सोडियम का कम उपभोग।
रोकथाम के उपाय
- प्राथमिक रोकथाम-
हर व्यक्ति उच्च रक्तचाप के विकास की संभावना और इसके प्रतिकूल परिणाम को कम करने के लिए पांच ठोस कदम अपना सकता है। इसे प्राथमिक रोकथाम कहा जाता है। इसमें शामिल है-
स्वस्थ आहार
- शिशुओं और युवाओं के लिए उचित पोषण पर ज़ोर
- स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करना;
- प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक (एक चम्मच से कम) खाना;
- दिन में पांच बार फल एवं सब्जियों का सेवन करना।
- संतृप्त और कुल वसा (टोटल फैट) का सेवन कम करना।
अल्कोहल के प्रभाव से बचाव
अल्कोहल के हानिकारक उपयोग से बचें तथा अल्कोहल की एक निर्धारित मात्रा से ज़्यादा न पीयें।
शारीरिक गतिविधि
- नियमित शारीरिक गतिविधियां करें तथा बच्चों और युवाओं को प्रतिदिन कम से कम तीस मिनट सप्ताह में पांच दिन शारीरिक गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- शरीर के सामान्य वज़न को बनाएं रखना- अधिकतम प्रति पांच किलो वज़न कम करना, दो से दस अंक तक सिस्टोलिक रक्तचाप को कम कर सकता है।
तंबाकू छोड़ना
तंबाकू उपयोग छोड़ना और तंबाकू उत्पादों के संपर्क से बचाव।
स्वस्थ उपाय
स्वस्थ उपायों जैसे कि ध्यान, उचित शारीरिक व्यायाम और सकारात्मक सामाजिक संपर्क के माध्यम से तनाव प्रबंधन करना।
- द्वितीयक रोकथाम-
द्वितीयक रोकथाम का लक्ष्य पीड़ित व्यक्ति में उच्च रक्तचाप का पता लगाना और उसे नियंत्रण करना है, जिसके फलस्वरूप जटिलताओं का ज़ोखिम कम हो जाता है।
रक्तचाप की नियमित जांच से रोग का जल्दी पता लगाना
यदि उच्च रक्तचाप का जल्दी पता लग जाता है, तो हृदयाघात (हार्ट अटैक), हृदय विफलता (हार्ट फेल), स्ट्रोक और किडनी विफलता के ज़ोखिम को कम किया जा सकता है। स्व-देखभाल उच्च रक्तचाप का शीघ्र पता लगाने, दवा और स्वस्थ व्यवहार अपनाने, बेहतर नियंत्रण एवं जब आवश्यक हों, तब चिकित्सा सलाह मांगने के महत्व के बारे में जागरूक करने में मदद कर सकता है। स्व-देखभाल सभी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह विशेषकर ऐसे लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनके पास भौगोलिक, भौतिक या आर्थिक कारणों की वज़ह से स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच है।
उपचार
उपचार का उद्देश्य 140/90 mmHg से कम रक्तचाप प्राप्ति होनी चाहिए तथा आदर्श रक्तचाप 120/80 mmHg है। रोगियों, परिवारों और समुदायों की शिक्षा के माध्यम से रोगी अनुपालना यथा दवाई खाने, आहार संहिता का पालन करने एवं अन्य जीवन शैली बदलाव में सुधार किया जाना चाहिए।
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