ऊँट की विशेषताएँ
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ऊँट विषय सूची
ऊँट की विशेषताएँ
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जगत | जंतु (Animalia) |
संघ | कौरडेटा (Chordata) |
वर्ग | स्तनधारी (Mammalia) |
गण | आर्टियोडैकटिला (Artiodactyla) |
कुल | कैमलिडाए (Camelidae) |
जाति | कैमेलस (Camelus) |
प्रजाति | बॅक्ट्रिऍनस (bactrianus) |
द्विपद नाम | कॅमलस बॅक्ट्रिऍनस (Camelus bactrianus) |
संबंधित लेख | गाय, भैंस, हाथी, घोड़ा, सिंह, बाघ |
अन्य जानकारी | अरबी ऊँट के एक कूबड़ जबकि बैकट्रियन ऊँट के दो कूबड़ होते है। अरबी ऊँट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों के जबकि बैकट्रियन ऊँट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे रेगिस्तान का जहाज़ भी कहते हैं। |
- ऊँट शब्द का प्रयोग मोटे तौर पर ऊँट परिवार के छह ऊँट जैसे प्राणियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है, इनमें दो वास्तविक ऊँट और चार दक्षिण अमेरिकी ऊँट जैसे जीव है जो हैं लामा, अलपाका, गुआनाको और विकुना। एक ऊँट की औसत जीवन प्रत्याशा चालीस से पचास वर्ष होती है।
- एक पूरी तरह से विकसित खड़े वयस्क ऊंट की ऊँचाई कंधे तक 1.85 मी और कूबड़ तक 2.15 मी होती है। कूबड़ शरीर से लगभग तीस इंच उपर तक बढ़ता है।
- ऊँट की अधिकतम भागने की गति 65 किमी/घंटा के आसपास होती है तथा लम्बी दूरी की यात्रा के दौरान यह अपनी गति 40 किमी/घंटा तक बनाए रख सकता है।
- जीवाश्म साक्ष्यों से पता चलता है कि आधुनिक ऊँट के पूर्वजों का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ था जो बाद में एशिया में फैल गये। लगभग 2000 ई.पू. में पहले पहल मनुष्य ने ऊँटों को पालतू बनाया था। अरबी ऊँट और बैकट्रियन ऊँट दोनों का उपयोग अभी भी दूध, मांस और बोझा ढोने के लिये किया जाता है।
- ऊँट की औसतन आयु 40 से 50 वर्ष तक की होती है।
- ऊँट सर्दियों में 2 महीनो तक बिना पानी के रह सकते हैं। ऊँट रोजाना पानी नहीं पीता। ऊँट एक बार में 100 से 150 लीटर तक पानी पी सकता है। ऊँट का प्रमुख्य आहार पेड़ों की हरी पत्तियां हैं।
- ऊँट को कभी भी पसीना नहीं आता क्योंकि इसकी मोटी चमड़ी सूर्य की किरणों को रिफ्लेक्ट करती है।
- ऊँट अरबियन कल्चर में एक एहम भूमिका निभाते हैं अरबियन भाषा में ऊँट के लिए 160 से अधिक शब्द हैं।
- ऊँट को रेगिस्तान का जहाज़ भी कहा जाता है क्योंकि वह रेगिस्तान में आसानी से चल और दौड़ सकता है।
- ऊँट के तकरीवन 34 दांत होते हैं।
- ऊँट की तीन पलकें होती हैं जिसके कारण रेगिस्तान में चलने बाली तेज़ हवाओं और धूल-मिटटी से उसकी रक्षा करती हैं।
- ऊँटों की देखने और सुनने की शक्ति बहुत तेज़ होती है।
- जन्म से ही ऊंट के बच्चों के कूबड़ नहीं होते।
- एक ऊंटनी 12 से 14 महीनों के अंदर एक बच्चे को जन्म देती हैं तो इसका वजन 80 पौंड तक होता है और बच्चा बिल्कुल सफ़ेद रंग का होता है। जन्म के कई घंटे बीतने के बाद ही ऊंटनी का बच्चा खड़ा हो पाता है।[1]
- ऊंट के पैर चौड़े होते हैं और उसके वजन को रेत पर फैला देते हैं साथ ही साथ रेत में धंसते नहीं हैं जिससे वह रेत में आसानी से चल पाता है।
- ऊंट के होठ मोटे होते हैं जिससे वह रेगिस्तान में पाए जाने वाले कांटेदार पौधे भी खा पाता है। इसकी लंबी गर्दन की वजह से यह ऊंचे वृक्षों की पत्तियों को भी खा पाता है। इसके पेट और घुटनों पर रबर जैसी त्वचा होती है जिससे बैठते समय रेत के संपर्क में आने पर भी इसका बचाव हो सके। यह त्वचा ऊंट के उम्र 5 वर्ष का होने के बाद बनती है।
- ईसा से 1200 वर्ष पूर्व से ऊंटों पर सामान लादकर लाने-ले जाने की प्रथा चल रही है। उसके बाद सैनिकों ने भी ऊंटों का उपयोग अपना सामान लादने के लिए किया। राजस्थान में अजमेर से 14 किमी दूर पुष्कर में प्रतिवर्ष पशु मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में ऊंटों की खरीद-फरोख्त होती है।
- ऊंट के शरीर के रंग की वजह से भी इसे रेगिस्तान के मौसम में रहने में आसानी होती है। इसके शरीर पर बालों की एक मोटी परत होती है जिससे यह धूप सह लेता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऊंट के बारे में ख़ास बातें जाने (हिंदी) हिन्दी पॉट। अभिगमन तिथि: 20 अक्टूबर, 2017।
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