एल. वी. प्रसाद
एल. वी. प्रसाद
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पूरा नाम | अक्कीनेनी लक्ष्मी वारा प्रसाद राव |
प्रसिद्ध नाम | एल. वी. प्रसाद |
जन्म | 17 जनवरी, 1908 |
जन्म भूमि | इलुरु तालुका, आन्ध्र प्रदेश |
मृत्यु | 22 जून, 1994 |
अभिभावक | अक्कीनेनी श्रीरामुलु और बासवम्मा |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | फ़िल्म निर्माता-निर्देशक |
मुख्य फ़िल्में | 'आलम आरा', 'कालीदास', 'भक्त प्रह्लाद', 'हमराही', 'खिलौना', 'मेरा घर मेरे बच्चे', 'विदाई', 'एक दूजे के लिए', 'शारदा' और 'छोटी बहन' आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | 'दादा साहब फाल्के पुरस्कार' (1982), 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | एल. वी. प्रसाद की फ़िल्म 'छोटी बहन' में लता मंगेशकर द्वारा गाया गया का गीत "भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना" बेहद लोकप्रिय हुआ था। |
एल. वी. प्रसाद (पूरा नाम अक्कीनेनी लक्ष्मी वारा प्रसाद राव; अंग्रेज़ी: L. V. Prasad; जन्म- 17 जनवरी, 1908, आन्ध्र प्रदेश; मृत्यु- 22 जून, 1994) भारतीय सिनेमा में एक सफल फ़िल्मकार, निर्माता-निर्देशक और अभिनेता के रूप में याद किये जाते हैं। एन. टी. रामाराव सहित कई कलाकारों के सिने कैरियर में चार चाँद लगाने वाले एल. वी. प्रसाद दक्षिण भारत की विभिन्न भाषाओं के अलावा हिन्दी फ़िल्मों में भी सफल रहे थे। उन्होंने सामाजिक उद्देश्यों के साथ कई मनोरंजक फ़िल्में बनाईं।
जन्म तथा शिक्षा
एल. वी. प्रसाद का जन्म 17 जनवरी, 1908 को आन्ध्र प्रदेश के इलुरु तालुका में एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम अक्कीनेनी श्रीरामुलु और माता बासवम्मा थीं। एल. वी. प्रसाद का लालन-पालन बहुत ही लाड़-प्यार के साथ हुआ था। वे प्रारम्भ से ही बहुत बुद्धिमान थे, किंतु उनका पढ़ाई में ध्यान बिल्कुल भी नहीं लगता था। कम उम्र में ही वे नाटकों और नृत्य मंडलियों की ओर आकर्षित हो गए थे। इन्हीं सपनों को लेकर वे एक दिन घर छोड़कर मुंबई चले आये। लेकिन उनका ये सफर आसान नहीं रहा और उन्हें तमाम तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा। दृढ़ निश्चयी एल. वी. प्रसाद ने हार नहीं मानी और अंतत: सफलता ने उनके कदम चूमे।[1]
फ़िल्मी शुरुआत
एल. वी. प्रसाद ने भारत की तीन भाषाओं की पहली बोलती फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने वर्ष 1931 में प्रदर्शित आर्देशिर ईरानी की फ़िल्म 'आलम आरा' के अतिरिक्त 'कालिदास' और 'भक्त प्रह्लाद' में काम किया। 'आलम आरा' जहाँ हिन्दी की पहली बोलती फ़िल्म थी, वहीं 'कालिदास' पहली तमिल भाषा की बोलती फ़िल्म थी और 'भक्त प्रह्लाद' पहली तेलुगु बोलती फ़िल्म थी।
प्रसिद्ध कलाकारों के साथ कार्य
एल. वी. प्रसाद ने हिन्दी भाषा में कई चर्चित फ़िल्में बनाईं। इन फ़िल्मों में 'शारदा', 'छोटी बहन', 'बेटी बेटे', 'दादी माँ', 'शादी के बाद', 'हमराही', 'मिलन', 'राजा और रंक', 'खिलौना', 'एक दूजे के लिए' आदि शामिल हैं। उनकी फ़िल्में प्राय: सामाजिक उद्देश्यों के साथ स्वस्थ मनोरंजन पर केंद्रित हुआ करती थीं। उन्होंने प्रसिद्ध कलाकारों राज कपूर, मीना कुमारी, संजीव कुमार, कमल हासन, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त, अशोक कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा, शशि कपूर, प्राण, मुमताज और राखी जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया।[1]
महमूद की हास्य भूमिका
वर्ष 1961 में एल. वी. प्रसाद की फ़िल्म 'ससुराल' से अभिनेता महमूद पूरी तरह कॉमेडियन बन गए। वे अब अधिकांश फ़िल्मों में हास्य भूमिका ही निभाने लगे थे। राजेंद्र कुमार और वी. सरोजा देवी अभिनीत इस फ़िल्म में उनके अपोजिट शुभा खोटे थीं। शुभा खोटे के साथ महमूद की जोड़ी बहुत हिट हुई। यह जोड़ी बाद में फ़िल्म 'दिल तेरा दीवाना', 'गोदान', 'हमराही', 'गृहस्थी', 'भरोसा', 'जिद्दी' और 'लव इन टोकियो' जैसी अनेक फ़िल्मों में भी आई।[2]
फ़िल्म 'छोटी बहन'
निर्माता एल. वी. प्रसाद की वर्ष 1959 में प्रदर्शित फ़िल्म 'छोटी बहन' संभवत: पहली फ़िल्म थी, जिसमें भाई और बहन के प्यार भरे अटूट रिश्ते को रूपहले परदे पर दिखाया गया था। इस फ़िल्म में बलराज साहनी ने बड़े भाई और अभिनेत्री नन्दा ने छोटी बहन की भूमिका निभायी थी। इस फ़िल्म में शैलेन्द्र का लिखा और लता मंगेशकर द्वारा गाया का गीत "भइया मेरे राखी के बंधन को निभाना" बेहद लोकप्रिय हुआ था। रक्षा बंधन के गीतों में इस गीत का विशिष्ट स्थान आज भी बरकरार है। इसके बाद निर्माता-निर्देशक ए. भीम सिंह ने भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित दो और फ़िल्में 'राखी' और 'भाई-बहन' बनायी। वर्ष 1962 में प्रदर्शित फ़िल्म 'राखी' में अशोक कुमार और वहीदा रहमान ने भाई-बहन की भूमिका निभायी थी।[3]
फ़िल्में
एल. वी. प्रसाद ने एक निर्माता-निर्देशक होने के साथ-साथ कई फ़िल्मों में बतौर अभिनेता भी कार्य किया था। कुछ फ़िल्मों के नाम निम्नलिखित हैं-
फ़िल्म | वर्ष | फ़िल्म | वर्ष |
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आलम आरा | 1931 | भक्त प्रह्लाद | 1931 |
कालीदास | 1931 | सीता स्वयंवर | 1933 |
बोंडम पेल्ली | 1940 | चडुवुकुन्ना भार्या | 1940 |
राजा पारवई | 1982 |
फ़िल्म | वर्ष | फ़िल्म | वर्ष |
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ससुराल | 1961 | हमराही | 1963 |
मिलन | 1967 | राजा और रंक | 1968 |
खिलौना | 1970 | उधार का सिन्दूर | 1976 |
ये कैसा इंसाफ | 1980 | एक दूजे के लिए | 1981 |
मेरा घर मेरे बच्चे | 1985 | स्वाती | 1986 |
बिदाई | 1990 | अर्चना | 1993 |
नागपंचमी | 1994 | सन्ध्याधरा | 1994 |
मयर कथा | 1996 | सुनापुआ | 1996 |
फ़िल्म | वर्ष | फ़िल्म | वर्ष |
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शारदा | 1957 | छोटी बहन | 1957 |
बेटी बेटे | 1964 | दादी माँ | 1966 |
जीने की राह | 1969 | शादी के बाद | 1972 |
बिदाई | 1974 | जय विजय | 1977 |
पुरस्कार व सम्मान
जीवन के अंतिम दौर तक सार्वजनिक रूप से सक्रिय रहे एल. वी. प्रसाद को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजा गया था। उन्हें फ़िल्मों में विशेष योगदान के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान "दादा साहब फाल्के पुरस्कार" वर्ष 1982 में प्रदान किया गया था। इसके अतिरिक्त फ़िल्म 'खिलौना' के लिए उन्हें 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' भी दिया गया।
निधन
भारतीय सिनेमा में विशिष्ट योगदान देने वाले एल. वी. प्रसाद का निधन 22 जून, 1994 हुआ। प्रसाद जी ऐसे फ़िल्मकार के रूप में प्रसिद्ध थे, जो एक ही साथ कई विभिन्न भाषाओं में फ़िल्म बनाते रहे। उनकी फ़िल्मों में जहाँ कहानी और संवाद पर विशेष तौर पर काम किया जाता था, वहीं संगीत पक्ष पर भी काफ़ी जोर दिया जाता था। उनकी फ़िल्मों के कई गीत अब भी काफ़ी लोकप्रिय हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 सफल फ़िल्मकार एल.वी. प्रसाद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।
- ↑ मस्ताना कॉमेडियन (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।
- ↑ फ़िल्मों से गायब हुए राखी के गीत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 फ़रवरी, 2013।