ओंकारेश्वर परियोजना नर्मदा नदी की घाटी में बनाये गए 30 बाँधों में से एक है। इस परियोजना का क्षेत्र नर्मदा एवं कावेरी (नर्मदा की उपनदी) के तटीय इलाके में है। इस परियोजना का विचार सर्वप्रथम 1965 में आया था।
- इस परियोजना का उद्देश्य मध्य भारत में बिजली एवं सिंचाई की व्यवस्था करना है।
- ओंकारेश्वर बाँध से मध्य प्रदेश में बिजली वितरित की जाती है।
- इस जलविद्युत परियोजना से प्रथम चरण में अनुमानित 1.167 अरब यूनिट, दूसरे चरण में 69.60 करोड़ यूनिट एवं तीसरे चरण में 54 करोड़ यूनिट बिजली का वार्षिक उत्पादन होता है।
- लगभग 529 ग्राम इस बाँध से होने वाली सिंचाई से लाभान्वित हुए हैं। क़रीब 725000 टन खाद्यान्न एवं 835000 टन अन्य फ़सलों की पैदावार में वद्धि हुई है।
- ओंकारेश्वर बाँध 949 मीटर लंबा तथा 33 मीटर ऊँचा है, जो कंक्रीट का बना है।
- बाँध में 520 मेगावाट की विद्युत उत्पादन क्षमता है। इसमें 20x17 मीटर के 23 रीडायल गेट लगे हैं।
- यह देश में 2004 से 2006 में सबसे तेज़ीसे पूरी की जाने वाली जल विद्युत परियोजना है।
- बाँध ने 2007 से कार्य करना शुरू किया था। इसके द्वारा कई वर्ग किलोमीटर का एक जलाशय निर्मित हुआ है, जिसमें सुन्दर टापू बन गए हैं। जिन पर विभिन्न पर्यटन परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ओंकारेश्वर बाँध परियोजना (हिन्दी) श्रीओंकारेश्वर.कॉम। अभिगमन तिथि: 14 नवम्बर, 2014।
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