एक घुटे हुए नेता ने
छंटे हुए शब्दों में
भावुक तकरीर दी,
भीड़ भावनाओं से चीर दी।
फिर मानव कल्याण के लिए,
दिल खोल दान के लिए,
अपनी टोपी घुमवाई,
पर अफ़सोस
कि ख़ाली लौट आई।
टोपी को देखकर
नेता जी बोले - अपमान जो होना है सो हो ले।
पर धन्यवाद,
आपकी इस प्रतिक्रिया से
प्रसन्नता छा गई,
कम से कम
टोपी तो वापस आ गई।