कवीन्द्र कल्पलता ब्रजभाषा में लिखी गई कवीन्द्राचार्य सरस्वती की एकमात्र प्राप्त कृति है।[1]
- कवीन्द्राचार्य सरस्वती काशी (वर्तमान बनारस) के अपने समय के अत्यंत प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान् थे।
- मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने काशी-प्रयाग के हिन्दू यात्रियों पर जो कर लगाया था, उससे उन्हें सरस्वती जी ने ही मुक्त कराया था।
- गोदावरी नदी के किनारे किसी स्थान से वे काशी आये थे।
- 'कवीन्द्र कल्पलता' का प्रधान विषय मुग़ल बादशाह शाहजहाँ का यश वर्णन है। थोड़े-से पद्य कृष्ण तथा तत्त्वज्ञान से सम्बन्धित हैं। अंत में दारासाहि की प्रशंसा में कुछ पद्य हैं।
- दोहा, छप्पय, सरसी, सवैया, कवित्त, चौपाई आदि छन्दों का प्रयोग 'कवीन्द्र कल्पलता' में हुआ है।[2]
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