चैतन्य चरितामृत
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चैतन्य चरितामृत
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| लेखक | कृष्णदास कविराज |
| मूल शीर्षक | चैतन्य चरितामृत |
| मुख्य पात्र | चैतन्य महाप्रभु |
| अनुवादक | ब्रजविभूति श्रीश्यामदास |
| देश | भारत |
| भाषा | हिन्दी |
| विधा | काव्य ग्रन्थ |
| मुखपृष्ठ रचना | सजिल्द |
| विशेष | बांग्ला भाषा में रचित यह ग्रन्थ चैतन्य तथा उनके अनुयायियों की शिक्षाओं को प्रस्तुत करने वाला सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है। |
चैतन्य चरितामृत (अंग्रेज़ी: Chaitanya Charitamrita) कृष्णदास कविराज द्वारा रचित एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है, जिसमें चैतन्य महाप्रभु की लीला का गान किया गया है।
- इस ग्रन्थ में चैतन्य महाप्रभु की विस्तृत जीवनी, उनके भक्तों एवं भक्तों के शिष्यों के उल्लेख के साथ-साथ गौड़ीय वैष्णवों की दार्शनिक एवं भक्ति संबंधी विचारधारा का दर्शन है।
- 'चैतन्य चरितामृत' महाकाव्य का पश्चिम बंगाल में अत्यंत आदर है और ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है।
- वैष्णव सम्प्रदाय के नेता कृष्ण चैतन्य का सम्पूर्ण जीवन बड़ी अच्छी शैली में इस ग्रन्थ में वर्णित है।
- दिनेशचन्द्र सेन के शब्दों में बांग्ला भाषा में रचित यह ग्रन्थ चैतन्य तथा उनके अनुयायियों की शिक्षाओं को प्रस्तुत करने वाला सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है।
- 'चैतन्य चरितामृत' के अनुसार चैतन्य महाप्रभु ने कई कोढ़ियों और असाध्य रोगों से पीड़ित रोगियों को रोग मुक्त किया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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