कुलदीप नैयर
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पूरा नाम | कुलदीप नैयर |
जन्म | 14 अगस्त 1924 |
जन्म भूमि | सियालकोट (अब पाकिस्तान) |
मृत्यु | 23 अगस्त, 2018 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | लेखक एवं पत्रकार |
मुख्य रचनाएँ | ‘बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कौनण्टनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', 'इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘द डे लुक्स ओल्ड' |
भाषा | अंग्रेज़ी, हिंदी, उर्दू |
शिक्षा | पी-एच. डी. (दर्शनशास्त्र) |
पुरस्कार-उपाधि | ‘एल्यूमिनी मेरिट अवार्ड' (1999) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | कुलदीप नैयर 25 वर्षों तक ‘द टाइम्स' लन्दन के संवाददाता भी रहे। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
कुलदीप नैयर (अंग्रेज़ी: Kuldip Nayar, जन्म: 14 अगस्त 1924; मृत्यु- 23 अगस्त, 2018, दिल्ली) भारत के प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार थे। भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यू. एन. आई, पी. आई. बी. ‘द स्टैट्समैनं ‘इण्डियन एक्सप्रेस' के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे। कुलदीप नैयर 25 वर्षों तक ‘द टाइम्स' लन्दन के संवाददाता भी रहे।
जन्म और शिक्षा
कुलदीप नैयर का जन्म 14 अगस्त 1924 को सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ। इनकी स्कूली शिक्षा सियालकोट में हुई। विधि की डिग्री लाहौर से प्राप्त की। यू. एस. ए. से पत्रकारिता की डिग्री ली। दर्शनशास्त्र में पी-एच. डी. किया।
रचनाएँ
सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।
- ‘बिटवीन द लाइन्स'
- ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कौनण्टनेण्ट'
- ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू'
- ‘वाल एंट वाघा
- 'इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप'
- ‘इण्डिया हाउस'
- ‘स्कूप'
- ‘द डे लुक्स ओल्ड'
आत्मकथा
कुलदीप नैयर की आत्मकथा 'बियॉन्ड द लाइंस' अंग्रेज़ी में छपी उसके फौरन बाद हिंदी में राजकमल प्रकाशन से उसका हिंदी अनुवाद-एक ज़िंदगी काफ़ी नहीं, आजादी से आज तक के भारत की अंदरुनी कहानी के नाम से आया है। कुलदीप नैयर ने कैरियर की शुरुआत एक उर्दू दैनिक से की लेकिन उनको प्रतिष्ठा प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो की सरकारी नौकरी के बाद ही मिली। वो उस वक्त के गृह मंत्री गोविन्द वल्लभ पंत के सूचना अधिकारी बने फिर लाल बहादुर शास्त्री के साथ जुडे। अपनी आत्मकथा में नैयर ने इस बात को माना है कि न्यूज एजेंसी यू.एन.आई. ज्वाइन करने के बाद भी वो अनौपचारिक रूप से लाल बहादुर शास्त्री को उनकी छवि मजबूत करने के बारे में सलाह देते रहते थे। जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद जब पूरा देश शोक में डूबा था उसी वक्त कुलदीप नैयर ने यूएनआई की टिकर में एक खबर लगाई-पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री पद की दौड में उतरने वाले पहले शख्स हैं। बगैर पोर्टफोलियो के मंत्री लालबहादुर शास्त्री भी प्रधानमंत्री पद के दूसरे उम्मीदवार माने जा रहे हैं, हालांकि वो अनिच्छुक बताए जा रहे हैं। नैयर के मुताबिक़ उनकी इस खबर से मोरारजी देसाई को काफ़ी नुकसान हुआ और वो उस वक्त प्रधानमंत्री नहीं बन पाए। नैयर का दावा है कि वीपी सिंह के जनता दल के नेता के चुनाव के वक्त जो हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ उसकी पटकथा उन्होंने लिखी थी। बाद में वी. पी. सिंह ने उन्हें ब्रिटेन का उच्चायुक्त नियुक्त कर इसका इनाम भी दिया। कुलदीप नैयर की आत्मकथा इस मायने में थोडी अहम है कि उसमें आजाद भारत की राजनीति का इतिहास है थोडा प्रामाणिक लेकिन बहुधा सुनी सुनाई बातों पर। कुलदीप नैयर स्कूप के लिए जाने जाते रहे हैं लेकिन उनके स्कूप ज्यादातर राजनीतिक गॉसिप ही रहे हैं। इन तमाम बातों के बाद भी उनकी आत्मकथा से आजादी के बाद के दौर की राजनीति के संकेत तो मिलते ही हैं।[1]
सम्मान और पुरस्कार
- नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी द्वारा ‘एल्यूमिनी मेरिट अवार्ड' (1999)
- सन् 1990 में ब्रिटेन के उच्चायुक्त नियुक्त किये गये।
- सन् 1996 में भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र संघ को भेजे गये प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य भी रहे।
- अगस्त, 1997 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए।
मृत्यु
प्रेस की आज़ादी और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्षरत रहने वाले प्रख्यात पत्रकार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप नैयर का निधन 23 अगस्त, 2018 को दिल्ली के एस्कॉर्ट्स अस्पताल में हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ एक जिन्दगी काफ़ी नहीं (हिंदी) भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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