'कृति', कृत्ति एवं 'कृती' तीनों का अर्थ समान समझ लिया जाता है, पर ऐसा है नहीं। किसी भी तरह की रचना को कहते हैं 'कृति', जबकि 'कृत्ति' है एकदम से अलग चीज 'मृगचर्म'। इसी तरह 'कृती' का भी दोनों शब्दों से दूर-दूर का कोई सम्बंध नहीं है। इसका अर्थ है-निपुण। वर्तनी में जरा सा अंतर, पर अर्थ में जमीन असमान का। थोड़ा भी अनवधान हो तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
- कृति- रचना
- कृत्ति- मृगचर्म
- कृती- निपुण
इन्हें भी देखें: समरूपी भिन्नार्थक शब्द एवं अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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