मेरा जन्म उत्सव फिर मनाओगे इस साल भी
12 बजे तक जागोगे
कहीं मटकी फोड़ोगे
कहीं भोग लगाकर खीरे में मुझे देखना चाहोगे
देख भी लोगे
राधाकृष्ण बन जाओगे
विश्वास करो,
मैं इन सारे कार्यकलापों में होता ही नहीं !
मैं इन सबसे दूर
रस्सी से बंधा
माँ यशोदा के आगे रहता हूँ
उसकी निश्चिंतता मुझे सुख देती है
युगों के बीतने के एहसास से
मैं उसे दूर रखता हूँ
मैंने उसकी याद से
गोकुल से मथुरा जाने का दृश्य ही मिटा दिया है …
वह माखन जो माँ यशोदा ने दिया
वह प्यार जो राधा ने दिया
वह मित्रता जो सुदामा ने निभाई
वह सुरक्षा जो माँ देवकी ने दिया
वह गीत जो गोपियों ने सुनाये
मैं उसे अमावस में महसूस करता हूँ
सुनता हूँ
और फुट फुटकर रोता हूँ
पूरी रात मैं गोकुल में
घुटनों के बल चलता हूँ
कैसे समझाऊँ तुम्हें
'कृष्ण' बनकर रहना सरल नहीं
....
बंद करो यह शोर
अँधेरे के शांत क्षणों में
मुझे कारागृह से निकलने दो
यमुना को छूने दो
माँ यशोदा के पास सोने दो
यह दिन देवकी से यशोदा की यात्रा है
इस याद में मुझे डूबे रहने दो
तुम मेरे साथ रहो
लेकिन ध्यान रहे
गोकुल के झींगुरों की शान्ति में
कोई बाधा न पड़े