केते बदमाश गुंडे लंगोटी लगाय घूमे,
मदवा ज्यूँ झूमे कूर पेट भरे आपका।
स्वांग बना साधू का बादू बट मार केते,
सेते हैं भूत-प्रेत लज़ा नाम बाप का।
कर्म के कंगाल लोग साधना न जाने जोग,
ईधर के न उधर के है भांडा प्रलाप का।
कहता शिवदीन सत्य ऐसे का यकीन कहाँ,
बात-बात बातमें दिखावे डर श्राप का।