कोया विद्रोह

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  • कोया विद्रोह अंग्रेज़ों के विरुद्ध किया गया एक दीर्घ अवधि तक चलने वाला विद्रोह था।
  • यह विद्रोह आधुनिक आन्ध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी क्षेत्र में शुरू हुआ था।
  • इस विद्रोह के द्वारा उड़ीसा के 'माल्कागिरि ज़िले' के कुछ क्षेत्र भी प्रभावित हुए।
  • विद्रोह का प्रमुख केन्द्र 'चोडवरम्' का 'रम्पा' प्रदेश था।
  • यहाँ के कोया आदिवासी तथा 'कोंडा सोरा' नामक पहाड़ी सरदारों ने इस विद्रोह को अंजाम दिया।
  • ये विद्रोह 1803 ई., 1840 ई., 1845 ई., 1858 ई., 1861 ई. तथा 1862 ई. में अंग्रेज़ों के विरुद्ध किये गए।
  • इस विद्रोह के निम्नलिखित कारण थे-
  1. जंगलों पर आदिवासियों के परम्परागत अधिकारों को ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा समाप्त करना।
  2. पुलिस की ज़्यादतियाँ तथा साहूकारों द्वारा उत्पीड़न व शोषण।
  3. ताड़ी के घरेलू उत्पादन पर 'आबकारी अधिनियम' को लागू करना।
  • यह विद्रोह दो चरणों में सम्पन्न हुआ था।
  • प्रथम चरण 1879 से 1880 ई. में हुआ, जिसका नेता 'टोम्पा सोरा' था।
  • टोम्पा सोरा पुलिस की गोली का निशाना बना, और इसके मरने के साथ ही 'कोया विद्रोह' भी समाप्त हो गया।
  • 1886 ई. में कोया विद्रोह पुनः हुआ।
  • इस बार इसका दूसरा नेता 'अनन्त शैय्यार' था।
  • इसके नेतृत्व में 'राम सेडू' (राम की सेना) का गठन किया गया।


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