कोलकाता बंदरगाह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
कोलकाता बंदरगाह
कोलकाता बंदरगाह
कोलकाता बंदरगाह
विवरण कोलकाता बंदरगाह देश के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। यह बंदरगाह हुगली नदी के मुहाने पर स्थित है।
देश भारत
स्थान कलकत्ता
उद्घाटन 1870, 146 वर्ष पूर्व
संचालन कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट
स्वामित्व कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट, जहाजरानी मंत्रालय, भारत सरकार
पृष्ठदेश इसके पूर्वांचल से सातों राज्य तथा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पूर्वी मध्य प्रदेश सम्मिलित हैं।
निर्यात जूट का तैयार माल, रस्से, कोयला, चाय, शक्कर, लोहे का सामान, तिलहल, चमड़ा, लाख, अभ्रक, सनई व मैंगनीज हैं।
शुष्क डॉक 5, जिनमें से 3 खिदिरपुर और 2 नेताजी सुभाष डॉक हैं।
पोताश्रय डायमण्ड
अन्य जानकारी कोलकाता बंदरगाह वायुमार्गों द्वारा सम्पूर्ण विश्व से जुड़ा हुआ।
अद्यतन‎ 06:01, 3 दिसम्बर-2016 (IST)

कोलकाता अथवा कलकत्ता बंदरगाह (अंग्रेज़ी:Kolkata Port) का देश के प्रमुख बंदरगाहों में तीसरा स्थान है। कोलकाता देश का प्रारंभिक बड़ा बंदरगाह है। मुग़ल बादशाह औरंगजेब द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशकों को पूर्वी भारत में व्यापार करने का अधिकार दिए जाने के समय से यह भारत का प्रमुख बंदरगाह रहा है। इस बंदरगाह के साथ कोलकाता शहर का पुराना संबंध है। यह हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित है। नदी के मुहाने से कोलकाता बंदरगाह 129 किलोमीटर दूर उत्तर की ओर है। कोलकाता बंदरगाह भारत का ही नहीं वरन् सम्पूर्ण दक्षिण एशिया का प्रमुख बंदरगाह रहा है। यह गंगा-ब्रह्मपुत्र घाटी का मुख्य सामुद्रिक द्वार है।[1]

पृष्ठदेश

कोलकाता बंदरगाह का पृष्ठदेश धनी है। इसके पृष्ठदेश में पूर्वांचल से सातों राज्य तथा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पूर्वी मध्य प्रदेश सम्मिलित हैं। इन सभी भागों से यह पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, मध्य और पूर्वी सीमांत रेलमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों, नदियों और नहरों द्वारा हुआ है। अत: सभी प्रकार की पैदावर एवं उत्पादन सहज में ही कोलकाता लाया जा सकता है और विदेशों से प्राप्त माल को भिन्न-भिन्न भागों में पहुंचाया जा सकता है। कोलकाता बंदरगाह वायुमार्गों द्वारा सम्पूर्ण विश्व से जुड़ा हुआ। कोलकाता बंदरगाह के पृष्ठ प्रदेश में अनेक प्रकार के कृषिगत एवं औद्यौगिक कच्चा माल, सब्जियाँ, फल, जूट, चाय, प्लाई, लकड़ी एवं निर्मित वस्तुओं का भारी मात्रा में उत्पादन होता है। साथ ही भारत के प्रधान औद्यौगिक प्रदेश इसके पृष्ठप्रदेश में स्थित हैं, अत: वहां धातु शोधन उद्योग, भारी हल्के व कीमती इंजीनियरी एवं रासायनिक सामान, इलेक्ट्रोनिक व विद्युत् स्थित हैं। अत: यहां से सभी प्रकार की आयात-निर्यात सेवा उपलब्ध है।

भौगोलिक स्थिति

हुगली नदी में कोलकाता से समुद्र तट तक अनेक मोड़ हैं तथा कई स्थानों पर नदी में बालू भर जाने से जल की गहराई बहुत कम हो गई है, इससे बड़े जहाज़ नहीं निकल पाते। इनमें से भी गंगासागर के आसपास केवल 7 से 9 मीटर तक ही जल गहरा रहता है। अत: बंदरगाह में जहाज़ आने के पूर्व इस बात की परीक्षा कर ली जाती है कि यहां जल पर्याप्त गहरा है। अन्यथा जहाज़ों को हुगली नदी के गहरे जल में खड़ा रहना पड़ता है।

पोताश्रय

हुगली नदी में निरन्तर मिट्टी भरते रहने के कारण 64 किलोमीटर दूर खुली खाड़ी में डायमण्ड पोताश्रय का निर्माण किया गया है। यहां जल की पर्याप्त गहराई के कारण 10,000टन से अधिक भार वाले जहाज़ पहुंचकर यहां विश्राम करते हैं। ज्वार के समय से जहाज़ खिदिरपुर तक जाते हैं जो कोलकाता का मुख्य पोताश्रय है। हुगली के मुहाने से कोलकाता तक जहाज़ों के आने में लगभग 6 घण्टे का समय लगता है। हुगली तट पर उत्तर में सिरामपुर से लेकर दक्षिण में बजबज तक अनेक स्थानों पर जेटीयां, गोदाम एवं व्यवसायिक केन्द्र स्थित हैं। अब पोतश्रय की सुविधा बढ़ाना सबसे बड़ी समस्या है। सन् 1954 में एक नयी योजना बनायी गयी जिसके अनुसार डायमण्ड पोताश्रय एवं खिदिरपुर के बीच एक 48 किलोमीटर लम्बी सीधी जहाज़ी नहर बनाने पर विचार हुआ था, परंतु इस योजना में व्यय होने और निकटवर्ति गांवो की विशेष हानि होने से यह योजना समाप्त कर दी गई है। अब हुगली को ही अधिक गहरा बनाये रखा जाता है।

खिदिपुर सबसे अधिक महत्वपूर्ण पोताश्रय है जहां दो बंदरगाह हैं। इनके जल 9 मीटर (30 फीट) गहरा रहता है। यहां मशीनों से सामान उतारने की सुविधा है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस डॉक दूसरा महत्वपूर्ण पोताश्रय है। यहां सामान उतारने - चढ़ाने के 10 बर्थ हैं और पेट्रोल एकत्रित करने के लिए एक और बर्थ है। पूरे बंदरगाह में 5 शुष्क डॉक भी हैं जिन में से 3 खिदिरपुर और 2 नेताजी सुभाष डॉक में स्थित हैं बजबज में पेट्रोलियम के गोदाम की व्य्वस्था है। अन्य स्थानों पर विविध प्रकार के अनेक गोदाम बने हुए है।

निर्यात एवं आयात

कोलकाता बंदरगाह से निर्यात की प्रमुख वस्तुएं जूट का तैयार माल, रस्से, कोयला, चाय, शक्कर, लोहे का सामान, तिलहल, चमड़ा, लाख, अभ्रक, सनई व मैंगनीज हैं। आयात की मुख्य वस्तुएं ऊनी, सूती, रेशमी वस्त्र, मशीनें, शक्कर, मोटरकारें, कांच का सामान, शराब, नमक, कागज, पेट्रोलियम, रबड़, रासायनिक पदार्थ और गेहूं हैं। कोलकाता बंदरगाह का देश के प्रमुख बंदरगाहों में तीसरा स्थान है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत का भूगोल |लेखक: डॉ. चतुर्भुज मामोरिया |प्रकाशक: साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा |पृष्ठ संख्या: 363 |

संबंधित लेख