कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ इन नैन अनोखि यै नेह की नाँधनि। प्यारे सों पुन्यन भेंट भई, यह लोक की लाज बड़ी अपराधिनि॥ स्याम सुधानिधि आनन को मरिये सखि सूधे चितैवे की साधनि। ओट किये रहते न बनै, कहते न बनै बिरहानल बाधनि॥