जिहि कारन बार न लाये कछू, गहि संभु-सरासन दोय किया। गये गेहहिं त्यागि कै ताही समै सु निकारि पिता बनवास दिया॥ कहे बीच ’रहीम’ रर्यौ न कछू, जिन कीनो हुतो बिनुहार किया। बिधि यों न सिया रसबार सिया करबार सिया पिय सार सिया॥