क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र भारत के महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना के पीछे प्रादेशिक और क्षेत्रीय सीमाओं के आर-पार सांस्कृतिक भ्रातृत्व की भावना को उभारने को उद्देश्य था। असल उद्देश्य तो स्थानीय संस्कृतियों के प्रति गहन जागरूकता पैदा करना और यह दिखाना है कि ये संस्कृतियां किस प्रकार क्षेत्रीय पहचान से घुलमिल जाती हैं तथा अंतत: भारत की समृद्ध विविधतापूर्ण संस्कृति में समाहित हो जाती हैं।
कर्तव्य
स्थानीय संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा कर छात्रों में उसे लोकप्रिय करना और क्षेत्रीय पहचान के रूप में परिवर्तित कर शनै: शनै: समृद्ध भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अंग बना देना ही इन केन्द्रों का काम है। इसके अतिरिक्त यह संस्थान लुप्त होने वाली कलाओं के स्वरूप व मौखिक परंपराओं का संरक्षण भी करते हैं। सृजनशील व्यक्तियों व कलाकारों के साथ स्वायत्त प्रशासन व्यवस्था के माध्यम से ही यह ढांचा बना है।[1]
सांस्कृतिक केंद्र
इस योजना के अंतर्गत सात सांस्कृतिक केन्द्र निम्न हैं-
- उत्तरी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला
- पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, शांतिनिकेतन
- दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावुर
- पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर
- उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद
- उत्तर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, दीमापुर
- दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर
विभिन्न सांस्कृतिक केन्द्रों के गठन की प्रमुख विशेषता राज्यों के सांस्कृतिक क्षेत्रों के अनुरूप एक से अधिक केन्द्र में उनकी भागीदारी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय संस्कृति |प्रकाशक: स्पेक्ट्रम बुक्स प्रा. लि. |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 382 |