गोपीचंदन द्वारका के पास गोपी तालाब में मिलने वाली एक प्रकार की मिट्टी है, जो बड़ी पवित्र मानी जाती है। इसे लोग चंदन की तरह मस्तक पर लगाते हैं।[1]
- कहा जाता है कि जिस समय गोपियों ने श्रीकृष्ण के स्वरूप में अपने को लीन कर दिया, उस समय उनके अंगों की धूल यहां पर गिरी थी। इसी से यहां की मिट्टी गोपीचंदन कहलाती है।
- इसका तिलक भागवत संप्रदाय का चिह्न है, जिसे धारण करके भगवान के गोपीभाव की उपासना की जाती है।
- गोपीचंदन नाम का एक उपनिषद भी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 296 |