जकनाचारी अथवा 'जकनाचार्य' (अंग्रेज़ी: Jakanachari) एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे, जिन्हें कल्याणी के चालुक्यों एवं होयसलों के लिए कई उत्कृष्ट मंदिरों का निर्माण करने का श्रेय प्राप्त है। इनमें बेलूर तथा हेलबिड की प्रसिद्ध मूर्तियां शामिल हैं।
जन्म
जकनाचारी का जन्म तुमकुर, कर्नाटक से 9 कि.मी. दूर कैदल नामक एक छोटे-से गांव में हुआ था। जानकारी के अनुसार शहर का मूल नाम कृदपुर था। जकनाचारी का जीवन कला के प्रति प्रेम एवं समर्पण का था। उनका कॅरियर उस समय शुरू हुआ, जब नृप हया उस क्षेत्र के स्थानीय मुखिया के रूप में शासन करते थे।
गृह त्याग
अपने कार्य के क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल करने के लिए विवाह के शीघ्र बाद ही जकनाचारी ने घर छोड़ दिया। उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण करते हुए दूर-दूर तक यात्रा की और अपने काम में वे इतने अधिक तल्लीन हो गए कि अपनी पत्नी के बारे में सब-कुछ भूल गए। उनकी पत्नी ने उनके पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम दंकनाचार्य रखा गया। स्वयं दंकनाचार्य बड़ा होकर एक प्रसिद्ध मूर्तिकार बन गया और अपने पिता की खोज में निकल पड़ा।
बेलूर में दंकनाचार्य को मूर्तिकार के रूप में नौकरी मिल गई। उसने स्वयं जकनाचार्य द्वारा बनाई गई एक मूर्ति में एक दोष देखा। इस पर क्रोधित होकर जकनाचार्य ने वचन दिया कि यदि युवा मूर्तिकार मूर्ति के उसके मूल्यांकन में सही हुआ तो वह अपना दाहिना हाथ काट डालेगा। मूर्ति का परीक्षण करने पर वास्तव में दोष का पता चला और जकनाचार्य ने अपना वचन पूरा करते हुये अपना दाहिना हाथ काट दिया। अंत में दोनों को पिता-पुत्र के रूप में उनके संबंध का पता चला।
पौराणिक कथा
जकनाचार्य को अपने जन्म स्थान कृदपुर में चेन्नाकेशव मंदिर का निर्माण करने के लिए एक स्वप्न प्राप्त हुआ। इसे पूरा करने के बाद, एक पौराणिक कथा के अनुसार यह मान्यता है कि यह कार्य पूरा होने पर ईश्वर ने उनका दाहिना हाथ वापस लौटा दिया। इस घटना के उल्लास में, उस समय से कृदपुर को कैदल कहा जाने लगा। कन्नड़ में काई का अर्थ हाथ होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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