ज़ायद की फ़सल सामान्यत: उत्तर भारत में मार्च-अप्रैल में बोई जाती है। इस वर्ग की फसलों में तेज गर्मी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं। उदाहरण के तौर पर तरबूज़, खीरा, ककड़ी आदि की फ़सलें ज़ायद की फ़सल मानी जाती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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