झूंठ की जमात जुरी पाप अधिकारी जहाँ,
महन्त है पाखंड चन्द टोली घुरावे हैं।
कपट की विभूति लोगन को बांटि-बांटि,
अकड़-अकड़ बैठे चतुर सभा में कहावें हैं।
क्रोधिन की कमाना को सफल करत व्यभिचारी,
असंगत उटपटांग काम अपना बनावे हैं।
कहता शिवदीन कलिकाल में प्रपंच फैल्यो,
ऐसे जो असंत महन्त मोजां उड़ावें हैं।