डाक संचार

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डाक संचार
भारतीय डाक प्रतीक चिह्न
भारतीय डाक प्रतीक चिह्न
विवरण भारतीय डाक, भारत सरकार की ऐजेंसी है।
स्थापना 1 अप्रॅल, 1854
मुख्यालय नई दिल्ली
उद्देश्य मेल, पार्सल, धन-हस्तांतरण, बैंकिंग, बीमा और खुदरा सेवाओं को तेज़ी और विश्वसनीयता के साथ मुहैया कराना।
संबंधित लेख भारतीय डाक, डाक टिकट, डाकघर, डाक सूचक संख्या (पिनकोड), पोस्टकार्ड , तार
अन्य जानकारी भारतीय डाक देश में सबसे बड़ा रिटेल नेटवर्क है। समय का साथ देते हुए इस ने ढेर सारी सुविधाएँ शुरू कीं जिनमें मनीआर्डर और बचत बैंक महत्वपूर्ण है।
बाहरी कड़ियाँ भारतीय डाक

भारत की आज़ादी के वक्‍त देश भर में 23,344 डाकघर थे। इनमें से 19,184 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में और 4,160 शहरी क्षेत्रों में थे। देश भर में 31 मार्च, 2008 तक 1,55,035 डाकघर थे। जिनमें से 1,39,173 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों और 15,862 शहरी क्षेत्रों में थे। पोस्‍टल नेटवर्क में इस सात गुने विकास के परिणामस्‍वरूप आज भारत में विश्‍व का सबसे बड़ा पोस्‍टल नेटवर्क है।

पोस्‍टल नेटवर्क के विस्‍तार में, ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, काफ़ी हद तक, डाक विभाग के विशिष्‍ट तंत्र अंशकालिक अतिरिक्‍त विभागीय डाकखानों को शुरू करने का योगदान रहा है। इस व्‍यवस्‍था के अंतर्गत विशेष प्रावधानों के अनुसार स्‍थानीय निवासियों को नियुक्‍त किया जाता है, जो पोस्‍ट ऑफिस की अधिकतम 5 घंटों की अवधि तक देखभाल करते हैं और निश्‍चित भत्तों के भुगतान पर पत्रों को लाने एवं पहुंचाने का काम करते हैं। भारत में एक डाकघर 21.20 वर्ग कि.मी. क्षेत्र और 7174 लोगों की जनसंख्‍या को अपनी सेवा प्रदान करता है। विभाग द्वारा निर्धारित जनसंख्‍या, आय एवं दूरी से संबंधित मानकों के अनुरूप ही डाकघर खोले जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघर खोलने पर सब्‍सिडी दी जाती है जो पर्वतीय, रेगिस्‍तानी और दुर्गम क्षेत्रों में लागत की 85 प्रतिशत तक होती है और सामान्‍य ग्रामीण क्षेत्रों में लागत की 68 प्रतिशत तक होती है।

पोस्‍टल नेटवर्क में चार श्रेणियों के डाकघर हैं – प्रधान डाकघर, उप डाकघर, अतिरिक्‍त विभागीय उप-डाकघर और अतिरिक्‍त विभागीय शाखा डाकघर। सभी श्रेणियों के डाकघर समान पोस्‍टल सेवाएं प्रदान करते हैं। हालांकि डिलीवरी का काम विशिष्‍ट डाकघरों के लिए निश्‍चित है। प्रबंध-नियंत्रण के लिए शाखा डाकघरों से कोष को उप-डाकघरों में और अंत में प्रधान डाकघर में लाकर जमा किया जाता है।

विभाग में 31 मार्च, 2009 तक 2.18 लाख विभागीय कर्मचारी और लगभग 2.76 लाख ग्रामीण डाक सेवक थे। उनके प्रशिक्षण की आवश्‍यकताओं को एक सुविकसित प्रशिक्षण तंत्र द्वारा पूरा किया जाता है।

डाक पद्धति

भारत में आधुनिक डाक-व्‍यवस्‍था की स्‍थापना 18वीं सदी के उत्तरार्ध में हुई। वर्ष 1766 में लॉर्ड क्‍लाइव द्वारा स्‍थापित इस डाक-व्‍यवस्‍था का आगे विकास वारेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1774 में एक पोस्‍ट मास्‍टर जनरल के अधीन कलकत्ता जी.पी.ओ. की स्‍थापना करके किया। मद्रास एवं बंबई की अन्‍य प्रेसीडेंसी में जनरल पोस्‍ट ऑफिस क्रमश: 1786 एवं 1793 में अस्‍तित्‍व में आया। 1837 अधिनियम ने सर्वप्रथम तीन प्रेसीडेंसी में पोस्‍ट ऑफिस संगठन को एक अखिल भारतीय सेवा के रूप में समान आधार पर एक करने के लिए विनियमित किया। 1854 के पोस्‍ट ऑफिस अधिनियम ने डाक प्रणाली के स्‍वरूप आमूल चूल संशोधन किया और भारतीय पोस्‍ट ऑफिस व्‍यवस्‍था की एक सौ तिरपन वर्षों पूर्व 1 अक्‍तूबर, 1984 को वर्तमान प्रशासनिक नींव रखी गई थी। वर्तमान में भारतीय पोस्‍ट ऑफिस अधिनियम, 1898 देश में पोस्‍टल सेवाओं को नियंत्रित कर रहा है। पोस्‍ट ऑफिस नेटवर्क ने डाक संचार सुविधाओं को प्रदान करने के अतिरिक्‍त पैसा भेजने, बैंकिंग और बीमा सेवाओं की सुविधाओं को भी 19वीं सदी के उत्तरार्ध से प्रदान किया है।

अंतरराष्ट्रीय डाक

भारत 1876 से यूनिवर्सल पोस्‍टल यूनियन (यू.पी.यू.) का और 1964 से एशिया प्रशांत पोस्‍टल यूनियन (ए.पी.पी.यू.) का सदस्‍य है। इन संगठनों का उद्देश्‍य है अन्‍य देशों के बीच डाक संबंधों को बढ़ाना, सुगम करना और सुधारना। भारत 217 से भी अधिक देशों के साथ स्‍थलीय और विमान सेवा द्वारा पत्रो का आदान-प्रदान करता है।

मनीऑर्डर

मनीऑर्डर के माध्‍यम से चुने हुए देशों से रुपया भारत भेजा जा सकता है। भारत से 27 देशों के साथ मनीऑर्डर सेवा की व्‍यवस्‍था है। भारत का भूटान एवं नेपाल के साथ दोतरफा मनीऑर्डर सेवा का संबंध है यानी इन देशों से और इन देशों को मनीऑर्डर भेजा जा सकता है। शेष 25 देशों के साथ सिर्फ आने वाली सुविधा उपलब्‍ध है यानी इन देशों में जमा किए गए रुपए का भारत में भुगतान हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक मनीऑर्डर सेवा जो 1986 में पांच देशों के साथ शुरू की गई थी, अब उसका विस्‍तार 97 देशों के साथ हो गया है। विदेशी स्‍थानों से निर्यात एवं आयात को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में विनिमय के मुख्‍य विदेशी कार्यालयों की स्‍थापना की गई है। इसके अतिरिक्‍त आयात एवं निर्यात दोनों के लिए अहमदाबाद, बंगलौर, जयपुर, कोचीन, श्रीनगर एवं नोएडा में छ: उप विदेशी पोस्‍ट ऑफिसों की स्‍थापना की गई है। वाराणसी, कानपुर, सूरत, लुधियाना, मुरादाबाद और गुवाहाटी में इन क्षेत्रों में निर्यातकों/पर्यटकों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए निर्यात विस्‍तार खिड़की को भी प्रारंभ किया गया है। विभाग ने ग्राहकों को तेज़ीसे, कुशल और विश्वसनीय सेवा के लिए यूनिवर्सल पोस्टल एका (यूपीयू) द्वारा विकसित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक इंटरनेशनल मनीऑर्डर सेवा (आवक) शुरू की है। इस सेवा को अधिक देशों में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव विचाराधीन है। अंतरराष्ट्रीय डाक के वितरण में गुणवत्ता प्रदर्शन के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने के लिए एक्सचेंज कार्यालय में इंटरनेशनल डाक प्रसंस्करण सुविधा का उन्नयन 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत लागू किया गया है।

प्रौद्योगिकीय उन्‍नयन

भारतीय डाक सेवा आईटी यानी सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा उपभोक्‍ताओं एवं कर्मचारियों को और अधिक संतुष्‍ट करने के साथ ही साथ अपना राजस्‍व बढ़ाने के लिए भी प्रयासरत है। डाक विभाग का यह लक्ष्‍य है कि सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके अपने क्षेत्र में अव्‍वल स्‍थिति प्राप्‍त की जाए और डाक सेवाएं उपलब्‍ध कराने में श्रेष्‍टता हासिल की जाए ताकि विभाग को आधुनिक संचार एवं वित्तीय सेवा एजेंसी का स्‍वरूप प्रदान किया जा सके।

डाकघरों को कंप्‍यूटरीकृत करके नेटवर्क से जोड़ना: डाक विभाग ने मार्च, 2007 के अंत सभी मुख्‍य डाकघरों तथा बड़ी संख्‍या में उप-डाकघरों को कंप्‍यूटर तथा उससे संबद्ध उपकरणों जैसे– प्रिंटर, स्‍कैनर, तुला, मोडम आदि तथा उन्‍हें चलाने के लिए उचित बिजली उपकरण जैसे – जनरेटर सेट, यूपीएस आदि की आपूर्ति की जा चुकी है। मार्च, 2009 तक कुल 9939 डाक खानों को कंप्‍यूटरीकृत किया जा चुका है। नेशनल इंफॉर्मेंशन सेंटर भी, सभी मुख्‍य डाकघरों, प्रशासनिक कार्यालयों प्रमुख स्‍पीड पोस्‍ट केंद्रो और लेखा कार्यालयों को आपस में जोड़ने के लिए वैन (वाइड एरिया नेटवर्क) भी स्‍थापित कर रहा है। नई दिल्‍ली एवं मैसूर में नेशनल डेटा सेंटर स्‍थापित किया गया है और इस डेटा सेंटर को भी वान से जोड़ा गया है।

ऑपरेटिव कार्यालयों का आधुनिकीकरण: 10 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत, कर्मचारी परिस्थिति विज्ञान और वातावरण को बेहतर बनाने के लिए 822 डाकघरों के आधुनिकीकरण के लिए कदम उठाया गया। इसके परिणामस्वरूप बेहतर गुणवत्ता के काउंटर, ग्राहकों और कर्मचारियों के लिए बेहतर फर्नीचर, समुचित रोशनी और एकरूपता लाई गई है। इसके लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना में सभी डाकघरों का एक इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क उपलब्ध कराने के प्रयासों में विभाग के एक लंबी छलांग लगाने की योजना है। सभी डाकघरों से डेटा प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत सॉफ्टवेयर विकसित करने की भी योजना है, जिससे ग्राहक और प्रबंधक सशक्त बन सकें।

डाक

रजिस्ट्रेशन वर्गीकरण का कम्प्यूटरीकरण: डाक नेटवर्क के आधुनिकीकरण के रूप में, वित्तीय वर्ष 1995-96 के दौरान दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई के प्रमुख डाक कार्यालयों में रजिस्ट्रेशन वर्गीकरण कम्प्यूटरीकरण द्वारा छंटाई का काम आरंभ हो गया था। रजिस्ट्रेशन वर्गीकरण कार्य के लिए 31 मार्च 2007 तक 154 डाक कार्यालयों को कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया।

एचआरओ का कम्प्यूटरीकरण

आधुनिकीकरण कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, डाक संचालन से संबंधित अभिलेखों के उचित रखरखाव और कुशल कार्यालय प्रबंधन के लिए एचआरओ का कम्प्यूटरीकरण किया गया है। वित्तीय वर्ष 1997-98 के दौरान एचआरओ हैदराबाद डिवीजन का कम्प्यूटरीकरण करके इस संबंध में एक शुरुआत की गई थी। देश के सभी एचआरओ को 31 मार्च 2007 तक कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया है।

डाक कार्यालयों का आधुनिकीकरण (एर्गोनोमिक्स में सुधार)

कर्मचारी परिस्थिति विज्ञान (एर्गोनोमिक्स) और कार्य के वातावरण में सुधार हेतु संचालन के लिये बेहतर उपकरणों और बेहतर माहौल के साथ डाक कार्यालयों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। यह परियोजना वित्तीय वर्ष 1995-96, में शुरू की गई थी, जब 22 डाक कार्यालयों को आधुनिक बनाया गया था। 31 मार्च 2006 तक, 269 डाक कार्यालयों का आधुनिकीकरण हो चुका है।

डाक नेटवर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से, कार्य संचालन के खर्च में कमी करने के लिए और डाक संबंधी व्यवसाय से राजस्व पैदा करने के उद्देश्य से, पूरे देश में एम.बी.सी. की स्थापना की जा रही है। ये केंद्र अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित होंगे और ग्राहकों की एक बड़ी संख्या को विभिन्न आवश्यकताओं के लिए एक स्थान पर समाधान की सुविधा प्रदान करेंगे। 31 मार्च, 2007 तक, छोटे डाक कार्यालय के विलय/बंद होने के उपरान्त 90 एम. बी. सी. खोले जा चुके हैं।

डाक यंत्रीकरण, आधुनिकीकरण और कम्प्यूटरीकरण

डाकघरों का कम्प्यूटरीकरण और नेटवर्किंग

मार्च 2009 के अंत तक डाक विभाग ने सभी प्रधान डाकघरों और बहुत सारे उप डाकघरों को कंप्यूटर और इसके उपकरण, जैसे - प्रिंटर, स्कैनर, तराजू, मोडेम, आदि और इसके साथ आवश्यक बिजली के उपकरण जैसे - जेंसेट्स, यू. पी. एस. आदि मुहैया कराया है। मार्च 2009 तक कुल 9939 डाकघर कम्प्यूटरीकृत हो चुके हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) ने भी सभी प्रधान डाकघरों, प्रशासनिक कार्यालयों, बड़े स्पीड पोस्ट केंद्रों एवं लेखा कार्यालयों को जोड़ने के लिये एक वैन (वाइड एरिया नेटवर्क) स्थापित किया है। मार्च 2009 तक 1274 कार्यालय इस नेटवर्क से जोड़े जा चुके हैं। राष्ट्रीय डाटा केंद्र भी नई दिल्ली और मैसूर में स्थापित किये गये हैं और इस डाटा केंद्र को वैन से जोड़ा गया है।

पंजीकरण सॉर्टिंग का कंप्यूटरीकरण

आधुनिकीकरण कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, प्रमुख डाक कार्यालयों में पंजीकरण छंटाई (रजिस्ट्रेशन-सॉर्टिंग) के काम का कम्प्यूटरीकरण शुरू किया गया है। वित्तीय वर्ष 1995-96 के दौरान दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई में रजिस्ट्रेशन-सॉर्टिंग के काम का कम्प्यूटरीकरण शुरू किया गया था। 31 मार्च 2006, तक 103 डाक कार्यालयों में पंजीकरण छंटाई के काम को कंप्यूटरीकृत किया जा चुका है।

ट्रांजिट मेल कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण

कम्प्यूटरीकरण के लिए ट्रांजिट मेल ऑफिस (टीएमओ) की पहचान एक अन्य क्षेत्र के रूप में की गई है। बंद डाक थैलियों के संचालन और वितरण में टीएमओ की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। दो टीएमओ, दिल्ली हवाई अड्डा टीएओ और मुंबई हवाई अड्डा टीएमओ को वित्तीय वर्ष 1996-97 के दौरान कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया था। 31 मार्च 2006 तक 28 टीएमओ को कम्प्यूटरीकृत किया गया।

मुख्य रिकॉर्ड कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण (एचआरओ)

आधुनिकीकरण के हिस्से के रूप में, मूल्यवान रिकॉर्ड के समुचित रखरखाव और कुशल कार्यालय प्रबंधन के लिए मुख्य रिकॉर्ड कार्यालय (एचआरओ) का कम्प्यूटरीकरण शुरू किया गया है। वित्तीय वर्ष 1997-98 के दौरान इस संबंध में एचआरओ, हैदराबाद शॉर्टिंग डिवीजन के कम्प्यूटरीकरण द्वारा शुरुआत की गई। 31 मार्च 2006 तक 70 एचआरओ को कम्प्यूटरीकृत किया गया।

वीएसएटी उपग्रह नेटवर्क के माध्यम से मनी ऑर्डर भेजना

देश भर में मनी ऑर्डर को भेजने में लगने वाले समय को कम करने के लिये, अब मनी ऑर्डर 150 वीएसएटी स्टेशन के वीसैट सैटेलाईट नेटवर्क और 1485 एक्सटेंडेड सैटेलाईट मनी ऑर्डर (ईएसएमओ) स्टेशन के माध्यम से भेजे जाते हैं। इस सुविधा से ग्राहकों को तेज़ीसे पैसा मिल जाता है।

ऑटोमेटिक डाक प्रोसेसिंग केंद्र (एएमपीसी)

ऑटोमेटिक डाक प्रोसेसिंग केंद्र तेज़ीसे डाक पहुंचाने में मदद करता है। दो एएमपीसी मुंबई और चेन्नई में क्रमशः. 1993 और 1996 में स्थापित किए गए। 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान दो और एएमपीसी दिल्ली और कोलकाता में स्थापित करने की मंजूरी दे दी गई है। एएमपीसी की छंटाई मशीनों की गति बहुत तेज होगी, जो प्रति घंटे 30,000 पत्रों की छंटाई कर सकता है।

ऑपरेटिव कार्यालयों का आधुनिकीकरण (कर्मचारी पारिस्थितिकी विज्ञान में सुधार)

दसवीं योजना में कर्मचारी पारिस्थितिकी विज्ञान में सुधार के माध्यम से डाक कार्यालयों को आधुनिकीकरण सक्षम बनाने के लिए 811 डाकघरों को आधुनिक बनाने का लक्ष्य है। 2005-06 तक, 552 डाकघरों का आधुनिकीकरण किया गया है और शेष डाकघरों का 2006-07 के दौरान आधुनिकीकरण किया जाएगा।

डाक कार्यालयों का आधुनिकीकरण

डाक कार्यालयों में कर्मचारियों के लिए बेहतर माहौल के लिए बेहतर संचालन उपकरण और फर्निचरों में सुधार के साथ आधुनिकीकरण किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 1995-96 के दौरान परियोजना शुरू की गई थी, जब 22 डाक कार्यालयों का आधुनिकीकरण किया गया। 31 मार्च 2006 तक 269 डाक कार्यालयों का आधुनिकीकरण किया गया।

व्यवसाय विकास क्रियाएं

एक व्यवसाय विकास निदेशालय ने 1996 में विपणन और विशिष्ट ग्राहक सेगमेंट की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रीमियम सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। यह व्यवसाय विकास और विपणन निदेशालय 1 अप्रैल 2005, डाक उत्पादों के पूरे विपणन पर एक तेज ध्यान प्रदान करने में पुनर्गठित किया गया था। एक अलग पार्सल और रसद विभाग व्यवसाय विकास और विपणन निदेशालय 1 अप्रैल, 2005 में विश्व आर्थिक मंच बनाया गया है। पार्सल उत्पादों पर केंद्रित प्रीमियम विभाग द्वारा की गयी पेशकश की सेवाओं में से कुछ नीचे दिए गए हैं:

स्‍पीड पोस्‍ट

स्‍पीड पोस्‍ट सेवा 1 अगस्त, 1986 को शुरू किया गया था। इस सेवा के अंतर्गत पत्रों, दस्‍तावेजों और पार्सलों की डिलीवरी एक निश्‍चित अवधि के अंतर्गत की जाती है और अवधि में डिलीवरी न होने पर ग्राहक को डाक शुल्‍क पूर्ण रूप से वापस कर दिया जाता है। स्‍पीड पोस्‍ट नेटवर्क में 163 राष्‍ट्रीय और 953 राज्‍य स्‍पीड पोस्‍ट केंद्र शामिल हैं। यह सेवा अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में भी 97 देशों में उपलब्‍ध है। इंटरनेट आधारित ट्रैक एंड ट्रेस सर्विस स्‍पीड नेट को 3 जनवरी, 2002 को शुरू किया गया था। ग्राहकों को स्‍पीड पोस्‍ट की गई चीजों के लिए ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करने के साथ यह प्रबंधन को सेवा की गुणवत्ता, व्‍यापार कार्य, ग्राहक सेवा विज्ञापन के बारे में सूचना भी प्रदान करता है। यह अब सभी 315 राष्‍ट्रीय स्‍पीड पोस्‍ट केंद्रों और 857 राज्‍य स्‍पीड केंद्रों में सेवा प्रदान कर रहा है।

बिजनेस पोस्‍ट

इस विभाग ने 1 जनवरी 1997 से पूर्व मेलिंग प्रक्रियाओं के लिए थोक ग्राहकों की विशिष्‍ट आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए बिजनेस पोस्‍ट शुरू किया है। इसके अनुसार, यह संग्रह में, चीजों को अंदर रखने में, पता लिखने में, सील करने में, स्‍टांप लगाने इत्‍यादि के रूप में डाक द्वारा प्रदान की गई सभी परंपरागत सेवाओं में मूल्‍य संवर्द्धन का काम करता है। बिजनेस पोस्‍ट के अंतर्गत ग्राहकों को प्रदान की गई पूर्व मेल-सेवाओं में अभी हाल में बिलों की छपाई, वित्तीय ब्‍योरा, मेलर इत्‍यादि को भी शामिल कर लिया गया है।

बिल मेल सेवा

वित्तीय स्‍टेटमेंटों, बिलों, मासिक खाता बिलों और इसी तरह की अन्‍य चीजें जो सेवा प्रदानकर्ता अपने ग्राहकों को पोस्‍ट कर सकते हैं, आवधिक संचार के मेल के लिए मूल्‍योपयोगी हल प्रदान करने के लिए 15 सितंबर, 2003 को बिल मेल सेवा शुरू की गई थी। एक राष्‍ट्रीय बिल मेल सेवा फरवरी 2005 में शुरू की गई थी जो यह अनुमति प्रदान करती है कि बाहर के गंतव्‍य स्‍थानों के लिए जाने वाले बिल मेल सेवा उत्‍पादों को भी पैकेटों में स्‍पीड पोस्‍ट, एक्‍सप्रेस पार्सल इत्‍यादि के रूप में गंतव्‍य शहरों को भेजा जा सकता है, अगर भेजने वाला इसका भुगतान करता है। व्‍यक्‍तिगत बिलों का शुल्‍क सिर्फ स्‍थानीय बिल मेल सेवा की दरों पर लिया जाता है।

एक्‍सप्रेस पार्सल पोस्‍ट

एक्‍सप्रेस पार्सल पोस्‍ट स्‍थलीय यातायात के माध्‍यम से एक विश्‍वसनीय और समयबद्ध पार्सल सेवा प्रदान करता है। यह कार्पोरेट वालों और व्‍यवसाय संस्‍थानों के लिए ठेके के आधार पर डोर टू डोर डिलीवरी और 50,000 रुपये तक की वीपीपी सेवा प्रदान करता है। एक्‍सप्रेस पार्सल पोस्‍ट की बुकिंग देश में 315 स्‍टेशनों में की जा सकती है जहां राष्‍ट्रीय स्‍पीड पोस्‍ट केंद्र उपलब्‍ध हैं।

लॉजिस्‍टिक पोस्‍ट

इस विभाग द्वारा 2004-05 में एक लॉजिस्‍टिक पोस्‍ट सेवा शुरू की गई थी। यह सेवा पहले ही कई पोस्‍टल सर्किलों में शुरू हो चुकी है। लॉजिस्‍टिक पोस्‍ट बिना किसी अधिकतम सीमा के मालों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता है। लॉजिस्‍टिक पोस्‍ट में माल उठाने, उनकी डिलीवरी, ट्रैकिंग और ट्रेसिंग जैसी मूल्‍य संवर्धित सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं।

मीडिया पोस्‍ट

यह विभाग कार्पोरेट और सरकारी संगठनों को मीडिया पोस्‍ट के माध्‍यम से सक्षम ग्राहकों तक पहुंचने के लिए एक अद्वितीय मीडिया प्रदान करता है। इस सुविधा के अंतर्गत ग्राहक अपने ब्रांडों के विज्ञापन के लिए अग्रलिखित प्रक्रियाओं का अनुसरण कर सकते हैं:
(क) पोस्‍ट कार्डों, अंतर्देशीय पत्रों, ऐरोग्राम और अन्‍य पोस्‍टल उत्‍पादों पर विज्ञापन।
(ख) लेटर बॉक्‍सों पर स्‍थान के लिए प्रायोजन।

रिटेल पोस्‍ट

1.5 लाख से अधिक पोस्‍ट ऑफिसों के विशाल नेटवर्क के माध्‍यम से यह विभाग सरकारी और अन्‍य निजी संगठनों के लिए सभी जनोपयोगी बिलों को एकत्र करने और आवेदन फॉर्मों की बिक्री की सुविधा प्रदान करता है। रिटेल पोस्‍ट के अंतर्गत की जाने वाली प्रक्रियाओं में से कुछ हैं – संघ लोक सेवा आयोग के आवेदन फार्मों की बिक्री, पोस्‍टमैन के जरिये सर्वे, पोस्‍टमैन के जरिये पते की जांच और पोस्‍ट नेटवर्क के माध्‍यम से ऋण आवेदनों को एकत्र करना इत्‍यादि।

डायरेक्‍ट पोस्‍ट

बहुत सारे देशों ने डायरेक्‍ट मार्केटिंग/विज्ञापन मेल की पहचान विकास की उच्‍च क्षमता वाले बिजनेस मेल के एक प्रमुख अंग के रूप में की है। उच्‍च आर्थिक विकास के साथ डायरेक्‍ट मेल का दायरा भारत में भी काफ़ी विकास करेगा। लक्ष्‍य समुदाय के घरों तक बिना पते वाले मेलों की डिलीवरी के लिए डायरेक्‍ट पोस्‍ट के नाम से जाने वाली सेवा को 2 जून, 2005 में शुरू किया गया था। 18 अप्रैल, 2006 से एक नई डायरेक्‍ट मेल मूल्‍य संवर्धित सेवा भी शुरू की गई है, जिसमें बिलों इत्‍यादि जैसे लेन-देन वाले मेलों के साथ विज्ञापन मेल को मिलाने की अनुमति दी गई है।

ई-पोस्‍ट

30 जनवरी, 2004 को शुरू की गई इस सेवा के अंतर्गत देश के सभी पोस्‍ट ऑफिसों में ई-मेल के माध्‍यम से संदेशों या तस्‍वीरों को भेजने और प्राप्‍त करने की सुविधा लोगों को प्रदान की जाती है। वैसे लोग जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है और ई-मेल आईडी नहीं है वैसे लोग भी ई-मेल के माध्‍यम से संदेशों को भेजने और प्राप्‍त करने का लाभ उठा सकते हैं। इस प्रकार डिजीटल डिवाइड की खाई को पाटा जा सकता है। इसे व्‍यापार क्षेत्र के लिए भी उपयोगी बनाने के लिए 18 अक्टूबर, 2005 को ई-पोस्‍ट का एक कार्पोरेट अंग शुरू किया गया था जो 9999 पतों की अधिकतम संख्‍या को तत्‍क्षण भेजने की अनुमति देता है।

ई-बिल पोस्‍ट

ग्राहकों के लिए प्रौद्योगिकी युक्‍त सेवाओं में से एक के रूप मे इस विभाग ने ई-बिल पोस्‍ट नामक एक नई सेवा शुरू की है। वर्तमान में यह सेवा बंगलौर और कोलकाता में उपलब्‍ध है और बहुत जल्‍दी ही अन्‍य शहरों में इसके शुरू होने की संभावना है। इसे ग्राहकों की ज़रूरतों को ध्‍यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह सेवा बिजली, टेलीफोन, मोबाइल, पानी और अन्‍य बिलों के पोस्‍ट ऑफिस के काउंटरों पर भुगतान के लिए बहुत उपयोगी है। ग्राहक अपने नजदीकी पोस्‍ट ऑफिस जाकर अपने बिलों का भुगतान कर सकते हैं।


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