डी. आर. कापरेकर

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डी. आर. कापरेकर
पूरा नाम दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर
अन्य नाम डी. आर. कापरेकर
जन्म 17 जनवरी, 1905
जन्म भूमि डहाणू, महाराष्ट्र
मृत्यु 1986
मृत्यु स्थान देवळाली, महाराष्ट्र
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र गणितज्ञ
खोज कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या
शिक्षा स्नातक
विद्यालय मुम्बई विश्वविद्यालय
नागरिकता भारतीय
अद्यतन‎ 05:58, 11 जुलाई 2017 (IST)

दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर (अंग्रेज़ी: Dattathreya Ramchandra Kaprekar; जन्म- 17 जनवरी, 1905, डहाणू, महाराष्ट्र; मृत्यु- 1986 देवळाली, महाराष्ट्र) भारतीय गणितज्ञ थे। इन्होंने संख्या सिद्धान्त के क्षेत्र में अनेक योगदान दिया, जिनमें से कापरेकर संख्या तथा कापरेकर स्थिरांक प्रमुख हैं। दत्तात्रय रामचन्द्र द्वारा कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की खोज हुई हैं।

संक्षिप्त परिचय

दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर का जन्म 17 जनवरी, 1905 को डहाणू, महाराष्ट्र में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा थाने और पुने में, तथा स्नातक की शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय से हुई थी। लेकिन उन्होंने गणित या किसी अन्य विषय में स्नातकोत्तर डिग्री की पढ़ाई नहीं की थी। वे नासिक में स्कूल टीचर थे। गणित में उच्च शिक्षा न प्राप्त करने के बावजूद उन्होंने नंबर थ्योरी पर काम किया। कुछ स्थिरांक (constant) और बहुत सी संख्यायें (numbers) उनके नाम से जाने जाते हैं। वे मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने व्यक्ति थे।[1] उच्च शिक्षा न प्राप्त करने के कारण भारत में गणितज्ञों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया जो उन्हें मिलना चाहिये था। उनके पेपर भी निम्न श्रेणी के गणित की पत्रिकाओं में छपते थे। वे गणित के सम्मेलनों में अपने पैसे से जाते थे और अंको पर व्याख्यान देते थे। उन्हें कहीं से पैसों की मदद नहीं मिल पाती थी चूंकि वे केवल स्कूल टीचर थे। उन्हें भारत में सम्मान तब मिला जब उनके बारे में मार्टिन गार्डनर ने साईंटिफिक अमेरिकन के मार्च, 1975 अंक में, उनके बारे में लिखा।

कापरेकर स्थिरांक

गणित में एक संख्या 6174 है जिसे कापरेकर स्थिरांक (Kaprekar constant) कहते हैं-

  • कोई भी चार अंक की संख्या लीजिये जिसके दो अंक भिन्न हों।
  • संख्या के अंको को आरोही (ascending) और अवरोही (descending) क्रम में लिखें।
  • इससे आपको दो संख्यायें मिलेंगी। अब बड़ी संख्या को छोटी से घटायें।
  • जो संख्या मिले इस पर पुनः 2 नंबर वाली प्रक्रिया दोहराएँ। इस प्रक्रिया को कापरेकर व्यवहार (Kaprekar’s routine) कहते हैं।
  • कुछ निश्चित चरणों के बाद आपको 6174 संख्या मिलेगी। इसके साथ प्रक्रिया क्रमांक 2 को अपनाने पर भी फिर यही संख्या मिलती है इसीलिये इसे कापरेकर स्थिरांक कहते हैं।
उदाहरण

हमने संख्या ली 3141.

अब प्रक्रिया क्रमांक 2 को दोहराने पर ऐसे क्रम चलेगा

4311 - 1134 = 3177.
7731 - 1377 = 6354.
6543 - 3456 = 3087.
8730 - 0378 = 8352.
8532 - 2358 = 6174.
7641 - 1467 = 6174…

कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या

अब कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की बात करते है। ये दोनों संख्याये भी हमारे कम चर्चित महाराष्ट्रियन गणितज्ञ कापरेकर जी की खोजी हुई हैं।

कापरेकर संख्या : किसी दिये हुये आधार पर (हम सामान्यतया 10 आधार वाली दशमलव प्रणाली का इस्तेमाल करते हैं ) कोई संख्या (शून्य या उससे बड़ी) जिसके वर्ग को दो ऐसे गुणकों में विभाजित किया जा सके कि उन्हें जोड़कर हम पुनः प्रारम्भिक संख्या को प्राप्त कर सकें, ऐसी संख्या को कापरेकर संख्या कहते हैं।

कुछ उदाहरण
कापरेकर संख्या
संख्या वर्ग गुणको मे विभाजन
703 703² = 494209 494+209 = 703
2728 2728² = 7441984 744+1984 = 2728
5292 5292² = 28005264 28+005264 = 5292
857143 857143² = 734694122449 734694+122449 = 857143
कुछ और उदाहरण

55, 99, 297, 703, 999 आदि। विशेषकर 9, 99, 999, ……….. श्रेणी की सभी संख्याएँ कापरेकर संख्याएं हैं।[2]


डेमलो संख्या : डेमलो संख्याएं Repunit संख्याओं के वर्ग का मान हैं। Repunit संख्याओं की एक विशेष श्रेणी को कहते हैं। इसका मतलब है Repeated Unit और Unit यानि इकाई (1), तो Repunit संख्याएँ हैं 1, 11, 111, 1111, ………. और क्रमशः

इनके वर्ग से जो डेमलो (demlo) संख्यायें प्राप्त होती हैं वो भी बड़ी मनोरंजक हैं।

डेमलो संख्या
1² – 1
11² – 121
111² – 12321
1111² – 1234321
  • डेमलो संख्या के नामकरण की भी कहानी है। डेमलो (Demlo) कोई रेलवे स्टेशन है जहाँ उन्हें इस संख्या का विचार आया था।

हर्षद संख्या

हर्षद संख्याओ का एक मजेदार गुण होता है, ये संख्याये अपने अंको के योग से भाज्य होती है। काप्रेकर ने इन्हे हर्षद संख्या अर्थात् आनंददायक संख्या कहा था। उदाहरण के लिये संख्या लेते है 12। अब 1+2=3 संख्या 12 अपने अंको के योग 3 से भाज्य है अर्थात् वह हर्षद संख्या है। इन संख्याओं को गणीतज्ञ Ivan M. Niven के नाम पर निवेन संख्या भी कहते है।

निधन

दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर का निधन 1986 को देवळाली, महाराष्ट्र में हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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