तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आँकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है उधर जमहूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है, नवाबी है लगी है होड़-सी देखो अमीरी औ' गरीबी में ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है तुम्हारी मेज चाँदी की तुम्हारे ज़ाम सोने के यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है