पामर एण्ड कम्पनी काण्ड ब्रिटिशकालीन भारत में घटी एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस कांड के कारण लॉर्ड हेस्टिंग्स गवर्नर-जनरल के पद से हटा दिया जाने वाला था, परन्तु राजा जॉर्ज चतुर्थ के हस्तक्षेप से उसे अपने पद पर बने रहने दिया गया। फिर भी इस घटना के फलस्वरूप 'कोर्ट आफ़ डाइरेक्टर्स' से हेस्टिंग्स के सम्बन्ध हमेशा के लिए ख़राब हो गये।
- 'पामर एण्ड कम्पनी' साहूकारी की एक फ़र्म थी, जिसकी एक शाखा निज़ाम हैदराबाद में भी थी।
- फ़र्म की एक साझेदार महिला 'रमाबोल्ड' का अभिभावक गवर्नर-जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-23 ई.) था।
- ब्रिटिश पार्लियामेंट ने क़ानून बनाकर यूरोपीय लोगों के द्वारा देशी रियासतों से लेन-देन पर रोक लगा दी थी।
- पार्लियामेंट की इस रोक के बावजूद भी लॉर्ड हेस्टिंग्स ने 'रमाबोल्ड' के प्रति अपने स्नेह के कारण फ़र्म से निज़ाम को रुपया उधार देने की इजाज़त दे दी।
- नये रेजिडेण्ट चार्ल्स मेटकाफ़ ने जब इस अनियमितता की ओर संकेत किया, तब भी उसने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।
- ब्रिटिश पार्लियामेंट लॉर्ड हेस्टिंग्स को इस काण्ड के कारण उसके पद से हटा देना चाहती थी, किंतु जॉर्ज चतुर्थ ने ऐसा होने नहीं दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 239।