प्रमादी संवत्सर
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प्रमादी हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में सेंतालीसवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में प्रजा आलसी हो जाती है और उसमें प्रमाद की वृद्धि हो जाती है। मंहगाई तथा प्रजा के दु:खों में वृद्धी होती है। इस संवत्सर का स्वामी अश्विनीकुमार को माना गया है।
- प्रमादी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु दुष्ट स्वभाव वाला, अभिमानी, कलही, लालची, दु:खी, कम बुद्धि वाला तथा निंदित कर्म करने वाला होगा।
- ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
- हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
- संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।
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