रक्ताक्ष संवत्सर
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रक्ताक्षी हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में 58वाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में रक्तपात से जनहानि होती है और वर्षा अच्छी होती है। इस संवत्सर का स्वामी इन्द्राग्नि को माना गया है।
- रक्ताक्षी संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु देश को त्याग देने वाला, धन को नष्ट करने वाला, कामी, दूसरों की उन्नति न सहन करने वाला तथा नेत्र रोगी होगा।
- ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
- हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
- संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।
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