अल्बेनिया

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अल्बेनिया बाल्कन प्रायद्वीप में एक समाजवादी प्रजातंत्र देश है। क्षेत्रफल 28,748 वर्ग कि. मी. (11,101 वर्ग मील), जनसंख्या 20,79,800 (1969 ई.) जिसमें 70 प्रतिशत मुसलमान, 20 प्रतिशत कट्टरपंथी (आर्थोडॉक्स) ईसाई तथा 10 प्रतिशत रोमन कैथोलिक हैं। इसके भूभाग की अधिकतम लंबाई 224 मि.मी., अधिकतम चौड़ाई 96 कि.मी. और समुद्रतट की कुल लंबाई 240 मि. मी. है। इसकी राजधानी टिराना है जिसकी जनसंख्या 1,96,000 (1967) है। अल्बेनियाई भाषा दो बोलियों में विभक्त है-घेग तथा टॉस्क। घेग श्कुंबी नदी के उत्तर में और टॉस्क दक्षिण में बोली जाती है। 1945 से राजकीय भाषा वह है जो टॉस्क को आधार बनाकर विकसित की गई है।

अलबेनिया के उत्तर तथा पूर्व में यूगोस्लाविया, दक्षिण पूर्व में यूनान (ग्रीस), पश्चिम में ऐड्रियाटिक सागर और दक्षिण पश्चिम में आयोनियन सागर हैं।

अल्बेनिया के लगभग पूरे भूभाग में अल्बेनियाई आल्प्स नामक पर्वत फैला हुआ है; फलस्वरूप इस देश का अधिकतर भाग अनुपजाऊ और सागरतल से 3,000 फुट ऊँचा है। पूर्वी सीमा पर कोराब नामक सर्वोच्च पर्वत शिखर है जिसकी ऊँचाई 9,066 फुट है। तटीय प्रदेश मैदानी, अत: उपजाऊ है। परंतु यह भी मलेरियावाले दलदलों के कारण अभी तक अविकसित पड़ा है। दक्षिण पश्चिम अल्बेनिया में भी कोरचे नगर के चारों ओर उपजाऊ मैदान हैं जहाँ खेतीबाड़ी की जाती हे।

इस देश में विविध प्रकार के भूधरातल हैं, अत: यहाँ विविध प्रकार की जलवायु और तदनुसार विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ मिलती हैं। दक्षिण के तटीय मैदानों में भूमध्यसागरीय जलवायु है जिसमें शीत ऋतु में वर्षा होती है और ग्रीष्म ऋतु लगभग शुष्क रहती है। मध्यवर्ती तथा उत्तरी इलाकों में लगभग बारहों मास काफी वर्षा होती है। उच्च पर्वतीय भागों में पहाड़ी जलवायु रहती है जिसमें शीत ऋतु के दौरान हिमपात होता है।

इतिहास : जार्ज कस्ट्रियोटा (जो इस्कंदरबेग के नाम से प्रसिद्ध थे) की 1467 ई. में मृत्यु के पश्चात्‌ अल्बेनिया पर तुर्की का आधिपत्य हो गया जो 1912 ई. तक बना रहा। 29 नवंबर, 1912 को व्लोने (वैलोना) में अल्बेनिया की स्वतंत्रता की घोषणा की गई। लंदन में आयोजित राजदूत सम्मेलन में अल्बेनिया की भौगोलिक सीमाओं का निर्धारण किया गया तथा प्रिंस विलियम ऑव वीड अल्बेनिया के शासक मनोनीत हुए। वे 7 मार्च, 1914 को डुरेंस पहुँचे। लेकिन जल्दी ही देश में अराजकता व्याप्त हो गई और प्रिंस 3 सितंबर, 1914 को अल्बेनिया छोड़कर चले गए। 26 अप्रैल, 1915 को लंदन में हुए गुप्त समझौते में प्रावधान रखा गया कि अल्बेनिया का बंटवारा कर दिया जाए। परंतु 3 जून, 1917 को इटली ने उक्त समझौता अस्वीकार कर दिया और अल्बेनिया स्थित इतालवी प्रधान सेनापति ने जिरोकास्टर नामक नगर में अल्बेनिया की स्वतंत्रता की घोषण कर दी। जनवरी, 1925 में यहाँ जनतांत्रिक शासन की स्थापना की गई जो 1 सितंबर, 1928 को राजतंत्र में परिवर्तित कर दिया गया और 31 जनवरी, 1925 से राष्ट्रपति की हैसियत से काम करनेवाले अहमद बेग जोगु सम्राट् हो गए। ये अप्रैल, 1939 तक सिंहासनारूढ़ रहे परंतु इसी सन्‌ में अल्बेनिया पर इटली का अधिपत्य हो गया और सम्राट् जोगु इंग्लैंड भाग गए। 1939 से 1944 तक अल्बेनिया पर इटलीवालों तथा जर्मनों का आधिपत्य रहा। किंतु 29 नवंबर, 1944 को मित्रराष्ट्रों की सेना ने इसे मुक्त करा लिया। 10 नवंबर, 1945 को ब्रिटेन, अमरीका तथा रूस ने जनरल एनवर होक्शा की अस्थायी सरकार को मान्यता दे दी, लेकिन इस शर्त पर कि यथाशीघ्र नए चुनाव करा दिए जाएँगे। 2 दिसंबर, 1945 को हुए चुनाव के परिणामस्वरूप अल्बेनिया में साम्यवादियों को बहुमत मिला और उन्होंने शासन संभालकर 11 जनवरी, 1946 को अल्बेनिया को एक गणतंत्र देश घोषित कर दिया गया। 1946 में ग्रेट-ब्रिटेन तथा अमरीका ने अल्बेनिया से संबंध विच्छेद कर लिए तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ में अल्बेनिया को सदस्य बनाने के प्रस्ताव पर निषेधाधिकार (वीटो) का प्रयोग किया। अंतत: 15 दिसंबर, 1955 को अल्बेनिया राष्ट्रसंघ का सदस्य बना। लेकिन अमरीका ने इस अवसर पर भी मतदान में भाग नहीं लिया। अल्बेनिया के स्तालिनवादी तथा चीनसमर्थक रुख के कारण 1961 में रूस ने भी इससे अपने राजनयिक संबंध समाप्त कर लिए।

संविधान तथा शासन : अल्बेनिया का राजनीतिक ढांचा 1946 में स्वीकृत संविधान के अनुरूप हैं। लेकिन उक्त संविधान को 1950, 1955, 1960 तथा 1963 में संशोधित किया गया है। देश की सर्वोच्च विधायिका एक सदनीय जन असेंबली है जिसकी बैठक वर्ष में दो बार होती है और जो दैनिक शासन चलाने का अधिकार स्थायी समिति (प्रसीडियम) को सौंप देती हे। स्थायी समिति में अध्यक्ष (चेयरमैन), तीन उपाध्यक्ष (डेप्युटी चेयरमैन), एक सचिव (सेक्रेटरी) तथा दस सदस्य होते हैं। जन असेंबली के सहकारियों (डेप्युटीज़) का चुनाव वयस्क मतदान से होता हे। ऐसा प्रत्येक सहकारी आठ हजार मतों का प्रतिनिधित्व करता है।

सरकार में एक प्रधान मंत्री (मंत्रीपरिषद् का अध्यक्ष), चार उपप्रधान मंत्री, 13 मंत्री तथा सरकारी योजना आयोग का एक अध्यक्ष होता हे। संपूर्ण शासन पर अल्बेनियाई श्रमसंगठन (अर्थात्‌ कम्युनिस्टपार्टी) का प्रभुत्व रहता है जिसकी स्थापना 8 नवंबर, 1941 को हुई थी और जिसका प्रशासकीय निकाय पोलित ब्यूरो है।

कृषि : जैसा इससे पूर्व लिखा जा चुका है, अल्बेनिया का अधिकतर भूभाग अनुपजाऊ, जंगली और पर्वतीय है। 1969 ई. यहाँ 5,80,200 हेक्टेयर भूमि खेती के तथा 6,35,300 हेक्टेयर चरागाहों के लिए उपयोग में लाई गई। 1970 ई. में 2,83,200 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की गई। यहाँ के मैदानों में अंगूर, संतरे, नीबू आदि भूमध्यसागरीय फल पैदा होते हैं।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यहाँ जनवादी कृषिप्रणाली लागू की गई। अत: भूमि पर सरकार (बड़े जंगलों तथा खेती के लिए अनुपयुक्त भूमि), सरकारी फार्मों (1969 ई. में अधिकृत 1,17,300 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि), सहकारी समितियों (1969 में अधिकृत 4,61,600 हेक्टेयर) तथा निजी लोगों (1,300 हेक्टेयर) का अधिकार है। मई, 1967 में निजी भूखंडों (प्लाटों) को 50-60 प्रतिशत तक कम कर दिया गया था। 1969 में यहाँ ट्रैक्टरों (प्रत्येक 15 अश्वशक्तिवाला) की संख्या 10,470 थी।

1965 में यहाँ निम्नलिखित उत्पादन (मीट्रिक टनों मे) हुआ : अनाज (गेहूँ चावल आदि) 3,26,000; कपास 23,000; तंबाकू 14,000; आलू 21,000।

1964 में यहाँ 4,27,100 गाय बैल, 16,82,200 भेडें, 11,99,300 बकरियाँ, 1,46,600, सूअर (1963 में), 1,22,100 घोड़े तथा खच्चर और 16,90,000 मुर्गियाँ थीं। इस वर्ष कुल 3,600 मीट्रिक टन मछलियाँ भी पकड़ी गईं।

खनिज : अल्बेनिया खनिजों की दृष्टि से काफी समृद्ध है। परंतु इन्हें उपलब्ध करने की पद्धति पिछले कुछ ही वर्षों से विकसित की जा रही है। 1970 में यहाँ सात कोयले, सात क्रोमियम (वार्षिक उत्पादन 3,00,000 मीट्रिक टन) तथा छह तांबे की खानों में काम हुआ। 1969 में टिराना के निकट वलियास में कोयले के बहुत बड़े भंडार की खोज की गई है। व्लोन के निकट नमक का उत्पादन भी होता है।

उद्योग धंधे : अल्बेनिया में पूरे उद्योग धंधों का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है। उत्पादन काफी कम है। प्रमुख उद्योग कृषि उत्पादों को तैयार करना, वस्त्र तथा सीमेंट के हैं। चीन की सहायता से रासायनिक तथा अभियांत्रिकी संबंधी उद्योगों की स्थापना की जा रही है। एलबासन में एक लौह तथा इस्पात का कारखाना स्थापित किया जा रहा है जिसकी क्षमता आठ लाख टन होगी। लेनिन जलविद्युत्‌ स्टेशन, मलिक चीनी मिल, श्कोदर तंबाकू मिल तथा स्टालिन वस्त्र मिल पहले से ही उत्पादनप्रक्रिया में हैं। यहाँ अब 6 जलविद्युत्‌घर हैं जिनसे 1965 में 342 करोड़ 9 लाख किलोवाट विद्युत पैदा की गई थी।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 267 |

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