बलवंत राय मेहता समिति का गठन 'पंचायती राज व्यवस्था' को मजबूती प्रदान करने के लिए वर्ष 1956 में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 1957 में प्रस्तुत कर दी थी। ममिति की सिफारिशों को 1 अप्रैल, 1958 को लागू किया गया।
गठन
सन 1957 में योजना आयोग ने बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में "सामुदायिक परियोजनाओं एवं राष्ट्रीय विकास" सेवाओं का अध्ययन दल के रूप में एक समिति बनाई, जिसे यह दायित्व दिया गया की वह उन कारणों का पता करे, जो सामुदायिक विकास कार्यक्रम की संरचना तथा कार्यप्रणाली की सफलता में बाधक थी। मेहता दल ने 1957 के अंत में अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की, जिसके अनुसार-
"लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पंचायती राज व्यवस्था की तुरंत शुरुआत की जानी चाहिए।"[1]
त्रिस्तरीय व्यवस्था
पंचायती राज व्यवस्था को मेहता समिति ने "लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण " का नाम दिया। समिति ने ग्रामीण स्थानीय शासन के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था का सुझाव दिया, जो निम्न प्रकार था-
- ग्राम- ग्राम पंचायत
- खंड- पंचायत समिति
- ज़िला- ज़िला परिषद
शुभारम्भ
उपरोक्त तीनों में सबसे प्रभावकारी खंड निकाय अर्थात् पंचायत समिति को परिकल्पित किया गया। बलवंत राय मेहता की सिफारिश के पश्चात् पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर ज़िले में 2 अक्टूबर, 1959 को भारी जनसमूह के बीच इसका शुभारम्भ किया। 1 नवम्बर, 1959 को आन्ध्र प्रदेश राज्य ने भी इसे लागू कर दिया। धीरे-धीरे यह व्यवस्था सभी राज्यों में लागू कर दी गयी, कुछ राज्यों ने त्रिस्तरीय प्रणाली को अपनाया तो कुछ राज्यों ने द्विस्तरीय प्रणाली को अपनाया।
असफलता
लेकिन पंचायती राज व्यवस्था का यह नूतन प्रयोग भारत में सफल नहीं हो पाया। अत: इसमें सुधार की मांग की जाने लगी। इन्हीं कारणों से जनता पार्टी के द्वारा दिसम्बर, 1977 में अशोक मेहता की अध्यक्षता में पंचायती राज संस्थाओं पर समिति गठित की गयी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पंचायती राज व्यवस्था (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जून, 2014।