बाल चित्र समिति

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प्रतीक चिह्न, बाल चित्र समिति, भारत

बाल चित्र समिति, भारत या सी. एफ़. एस. आई. (Children's Film Society of India) भारत सरकार की एक नोडल संस्था है जो बच्चों के लिए उनके मनोरंजन के अधिकार को न्यायपूर्ण मानते हुए फ़िल्म और टेलीविजन के माध्यम से सम्पूर्ण मनोरंजन प्रस्तुत करता है और साथ ही उनके मनोरंजन के अधिकार को न्याय देना तथा इसके उद्देश्य तथा क्षितिज का विस्तार करता है। भारतीय फ़िल्म उद्योग के दिग्गजों से नवोदित फ़िल्म निर्माताओं तक , सी एफ एस आई, मूल और कल्पनाशील सामग्री के समर्थन में विश्वास रखता है। सी एफ एस आई ने सह निर्माण भी प्रारंभ किया है।

इतिहास

अध्यक्ष, पंडित हृदय नाथ कुंजरू के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन सी. एफ़. एस. आई. ने एक स्वायत्त निकाय के रूप 1955 में कार्य शुरू किया। सी. एफ़. एस. आई. का पहला ‍निर्माण जलदीप ने 1957 वेनिस फ़िल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ बच्चों की फ़िल्म के लिए प्रथम पुरस्कार जीता। तब से सी एफ एस आई ने फीचर फ़िल्मों, शॉर्ट्स, एनिमेशन से टीवी एपिसोड और वृत्तचित्रों द्वारा बच्चों के लिए निर्माण, प्रदर्शन और गुणवत्ता सामग्री वितरित जारी रखा है। कई वर्षों से भारतीय सिनेमा के कुछ प्रतिभाशाली, जैसे – मृणाल सेन, सत्येन बोस, तपन सिन्हा, के अब्बास, श्याम बेनेगल, एमएस सथ्यू, सई परांजपे, बुद्धदेब दासगुप्ता, संतोष सिवन, राम मोहन, रितुपर्णो घोष और पंकज अडवाणी ने हमारे फ़िल्मों का निर्देशन किया है। उन्हें कई अन्य नए कल्पनाशील फ़िल्म निर्माताओं जुड़े है, जिन्होंने देश में सबसे आनंदमय बच्चों की सामग्री का निर्माण किया है।

उद्देश्य

  • सी. एफ. एस. आई. ऐसी फ़िल्मों को बढ़ावा देता है जों बच्चों का स्वस्थ और सर्वांगीण मनोरंजन प्रदान करके उनका दृष्टिकोण व्यापक और दुनिया की चारों ओर सॆ प्रतिबिंबित करने में प्रोत्साहित कर सके।
  • 10 अलग भाषाओं में, 250 फ़िल्मों की स्पृहणीय सूची के साथ, सी एफ एस आई दक्षिण एशिया में बच्चों की फ़िल्मों का मुख्य निर्माता रहा है।
  • देश भर में फ़िल्म प्रदर्शन का भी आयोजन करता है, जहां सालाना लगभग चालीस लाख बच्चे लाभ उठाते हैं।
  • भारत में बच्चों के फ़िल्मों के आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए और दुनिया भर में भारतीय निर्मित बच्चों के फ़िल्मों को बढ़ावा देने के लिए सी. एफ. एस. आई. प्रतिबद्ध है।
  • आज की दुनिया में अक्सर उपभोक्तावाद तथा हिंसा ने हलचल मचा दिया है, वहां विशेष रूप से बच्चों के लिये फ़िल्मों में मानवता और अहिंसक सामग्री देने के बावजूद मजेदार तथा आनंददायक फ़िल्मों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • महोत्सव में फ़िल्में प्रदर्शित करने में विशेष सावधानी ली जाती है जो अन्य संस्कृतियों, जीवन और अनुभवों की समझ को विकसित करती है और इससे बच्चों को उनके आसपास की दुनिया पर प्रतिबिंबित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
  • आलोचकों की प्रशंसा तथा बच्चों और युवा लोगों के बीच रचनात्मक सिनेमाई कला की खोज के उद्देश्य से महोत्सव मे कार्यशालाएं और खुले मंचों का आयोजन भी करते हैं। महोत्सव में दुनिया भर के बच्चों के फ़िल्म निर्माताओं द्वारा उन्हें समर्पण और प्रतिभा के लिए पुरस्कृत उनके काम का समर्थन किया जाता है।
  • महोत्सव के दौरान भारत के बच्चों को पूरे देश भर में वार्तालाप करने का अवसर मिलता है।

फ़िल्म महोत्सव

1979 के पश्चात् से अंतर्राष्ट्रीय बाल फ़िल्म महोत्सव, भारत (आई सी एफ एफ आई), जो कि ‘द गोल्डन एलिफंट ’ के रूप में भी मशहूर एक द्विवार्षिक महोत्सव है, भारत के युवा दर्शकों के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की बच्चों की आनंदमय और कल्पनाशील फ़िल्में लाने का प्रयास करता है। सात दिनों के इस महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिचर, शॉर्ट्स, लाइव एक्शन और एनीमेशन फ़िल्मों का प्रदर्शन होता है, जिसमें दुनिया भर से एक लाख से अधिक बच्चें तथा लगभग एक सौ फ़िल्मकार प्रतिभागिता करते है। देश में गतिशील बच्चों की फ़िल्म संस्कृति को पोषण और बढ़ावा देने के उद्देश्य से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय – बाल चित्र समिति भारत (सी एफ एस आई) द्वारा आयोजित किया जाता है। 1955 में उसके स्थापना के पश्चात, सी एफ एस आई ने बच्चों के लिए मनोरंजन और समृद्ध सामग्री का निर्माण, प्रदर्शन और वितरण किया है। प्रति द्विवर्षीय होने वाला यह महोत्सव 14 नवंबर को बाल दिवस पर जो कि भारत के प्रहले प्रधानमंत्री जो बच्चों के प्रति स्नेह के लिए भी जाने जाते है पंडित जवाहर लाल नेहरू की जन्म दिन पर शुरू होता है और आजादी के बाद 1955 में पंडित नेहरूजी ने भारत के बच्चों के लिए जो भविष्य के नागरिक है, स्वदेशी और विशेष सिनेमा बनाकर उनकी रचनात्मकता, करुणा और महत्त्वपूर्ण सोच को प्रभावित करने के उद्देश्य से सी एफ एस आई की स्थापना की। पंडित जवाहर लाल नेहरू का यह दृष्टिकोण हमारे अंतर्राष्ट्रीय बाल चित्र समारोह, भारत को मार्गदर्शन देता है।

अंतर्राष्ट्रीय बाल फ़िल्म समारोह

अंतर्राष्ट्रीय बाल फ़िल्म समारोह, भारत दुनिया के सबसे बडे और रंगीन बच्चों की फ़िल्म समारोहों में से एक है। इस महोत्सव की एक अनूठी विशेषता यह है कि जहां भारत भर से हजारो छोटे गांव और कस्बों से यात्रा कर के एक लाख से अधिक बाल दर्शक उच्च गुणवत्ता के अंतरराष्ट्रीय बच्चों के सिनेमा देखने आते हैं जो अन्यथा उन्हें कभी हासिल नहीं हो पाता। यहाँ वे दुनिया के विभिन्न भागों से आए अन्य बच्चों से, प्रख्यात मेहमानों से तथा निर्देशकों के साथ कंधों से कंधे मिलकर चलते हैं, जो इन सभी छोटे प्रतिनिधियों तथा वे कल्पनाशील फ़िल्म निर्माताओं जो सबसे सख्त दर्शक बच्चों के लिए फ़िल्में बनाने का प्रयास करते हैं, को समर्पित हैं।[1]  


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बाल चित्र समिति, भारत (हिंदी) बाल चित्र समिति, भारत। अभिगमन तिथि: 22 फ़रवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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