राष्ट्रीय बाल भवन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(बाल भवन से अनुप्रेषित)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
राष्ट्रीय बाल भवन
राष्ट्रीय बाल भवन का प्रतीक चिह्न
राष्ट्रीय बाल भवन का प्रतीक चिह्न
विवरण मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा पूर्ण रूप से वित्त पोषित एक स्वायत्तशासी संस्था है, जो स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत कार्य करती हैं।
स्थापना 1956
स्थान नई दिल्ली
उद्देश्य राष्ट्रीय बाल भवन बच्चों को उनके लिंग, जाति, धर्म, रंग आदि भेदभाव के बिना तनावमुक्त वातावरण में विभिन्न गतिविधियों में शामिल कर उनके समग्र विकास के लिए कार्यरत है।
अन्य जानकारी वर्तमान में राष्ट्रीय बाल भवन से सम्बद्ध 68 राज्य बाल भवन तथा 10 बाल केन्द्र हैं।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट

राष्ट्रीय बाल भवन, मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा पूर्ण रूप से वित्त पोषित एक स्वायत्तशासी संस्था है, जो स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत कार्य करती हैं। 1956 में इसके गठन से ही बाल भवन ने देशभर में उत्तरोत्तर प्रगति की है। वर्तमान में राष्ट्रीय बाल भवन से सम्बद्ध 68 राज्य बाल भवन तथा 10 बाल केन्द्र हैं। सम्बद्ध बाल भवनों और बाल केन्द्रों के माध्यम से बाल भवन की स्कूल छोड़ने वाले बच्चे, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चे, गलियों के बच्चे तथा विशेष बच्चों तक पहुँच है। दिल्ली के कई स्कूलों ने राष्ट्रीय बाल भवन की सदस्यता ली है तथा औपचारिक और अनौपचारिक संस्थानों के इस साझा प्रयासों से ही बच्चों की रचनान्तमक अभिवृद्धि में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है।

समग्र विकास

राष्ट्रीय बाल भवन बच्चों को उनके लिंग, जाति, धर्म, रंग आदि भेदभाव के बिना तनावमुक्त वातावरण में विभिन्न गतिविधियों में शामिल कर उनके समग्र विकास के लिए कार्यरत है। इनमें कुछ प्रमुख गतिविधियाँ हैं- क्ले माडलिंग, पेपर मैची, संगीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला, हस्त शिल्पकला, संग्रहालय गतिविधि, फ़ोटोग्राफ़ी, वीडियोग्राफ़ी, इंडोर-आउटडोर खेल, गृह प्रबंधन, पारम्परिक कला, शैक्षिक और इन्नोवैटिव खेल/चेस, विज्ञान रोचक हैं इत्यादि। राष्ट्रीय बाल भवन के कुछ विशेष आकर्षण हैं- मिनी ट्रेन, मिनी ज़ू, फ़िश कार्नर, साइंस पार्क, फ़नी मिरर, कल्चर क्राफ़्ट विलेज। राष्ट्रीय बाल भवन में राष्ट्रीय प्रशिक्षण संसाधन केन्द्र (एनटीआरसी) है, जो विभिन्न गतिविधियों को प्रशिक्षित करता है। इस केन्द्र का मुख्य उद्देश्य और ध्यान बच्चों के सर्वागीण विकास और व्यक्तित्व विकास में अध्यापकों को प्रशिक्षित करना है, क्योंकि अध्यापक समुदाय बच्चों की सामाजिक आर्थिक, भावुक, बौद्धिक और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों को समझने में कुशल होते हैं। एनटीआरसी का उद्देश्य अध्यापकों और छात्रों दोनों के लिए अध्यापन और सीखने को एक सुखद अनुभव बनाना भी है।

योजना

राष्ट्रीय बाल भवन ने उन रचनाशील बच्चों को उनके सामाजिक आर्थिक स्तर में भेद किए बिना पहचान, सम्मान और देखभाल के लिए एक योजना भी शुरू की है। 'द बालश्री स्कीम' योजना के पीछे मक़सद यही है कि रचनात्मकता मानवीय संभावना है, जिसका सीधा सम्बन्ध स्व-अभिव्यक्ति और स्व-विकास से होता है। इस योजना के तहत चार रचनात्मक क्षेत्रों अर्थात् सृजनात्मक कला, सृजनात्मक प्रदर्शन, सृजनात्मक वैज्ञानिक खोज, सृजनात्मक लेखन में 9 से 16 वर्ष के आयु वर्ग की रचनात्मकता वाले बच्चों की पहचान करना है। यह योजना 1995 से चालू है और तब से बच्चों को उनके रचनात्मकता क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए पहचान कर उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। ये सम्मान उनको या तो राष्ट्रपति या उनकी पत्नी से राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक रंगारंग कार्यक्रम में दिये गए हैं।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम

इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय बाल भवन कुछ स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे- कार्यशालाएँ, ट्रैकिंग कार्यक्रम, टाक शो, केंप, आयोजित करता है। इसके अलावा पृथ्वी दिवस, पर्यावरण दिवस इत्यादि भी मनाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाल सभा, युवा पर्यावरणविद सम्मेलन, सभी के लिए शिक्षा तथा अध्यक्षों और निदेशकों का अखिल भारतीय सम्मेलन मानव संसाधन और विकास मंत्रालय की देखरेख में आयोजित करता है। इन सबके अतिरिक्त राष्ट्रीय बाल भवन देश के विभिन्न भागों से अपने बच्चों को सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न देशों में भेजता है और ये बच्चे उप महाद्वीप की सामाजिक सांस्कृतिक विशिष्टता के युवा राजदूत के रूप में कार्य करते हैं। इसके साथ-साथ राष्ट्रीय बाल भवन के सदस्य बच्चे, देशभर में सम्बद्ध बाल भवनों के बच्चे और राष्ट्रीय बाल भवन के सदस्य स्कूल/संस्थान भी वैश्विक समस्याओं के थीम पर अंतर्राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं।  

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका-टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख