- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर प्रारम्भ होता है।
- उस दिन उपवास; देवता; भद्रकाली (देवी भवानी) का पूजन किया जाता है।
- व्रत में एक वर्ष तक प्रति मास नवमी पर पूजा की जाती है।
- अन्त में किसी ब्राह्मण को दो वस्त्रों का दान करना चाहिए।
- यह व्रत रोग मुक्ति, पुत्रों एवं यश की प्राप्ति के लिए किया जाता है।[1]
- आश्विन शुक्ल नवमी पर किया जाता है।
- दीवार या वस्त्र पर भद्रकाली का चित्र बना कर।
- उनके आयुधों एवं ढाल की पूजा की जाती है।
- नवमी को उपवास एवं भद्रकाली की पूजा की जाती है।
- ऐसी मान्यता है कि समृद्धि एवं सफलता की प्राप्ति होती है।[2]; [3]; [4]
- ब्रह्म पुराण[5] में, जहाँ भद्रकाली को मदिरा एवं मांस दिये जाने का भी उल्लेख है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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