भाखड़ा नांगल बाँध

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भाखड़ा नांगल बाँध
भाखड़ा बाँध
भाखड़ा बाँध
विवरण 'भाखड़ा नांगल बाँध' भारत का दूसरा बड़ा जलाशय एवं विश्व का एक अधिक ऊँचाई वाला गुरुत्व बाँध है।
देश भारत
स्थित बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
निर्माण शुरुआत 1948
शुभारम्भ यह बाँध 1962 में बनकर तैयार हुआ और 1963 में इसका उद्घाटन हुआ।
उद्घाटनकर्ता तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू
ऊँचाई 740 फीट
लम्बाई 1700 फीट
जलाशय क्षमता 7,501,775 एकर·फ्ट

भाखड़ा नांगल बाँध (अंग्रेज़ी: Bhakra Nangal Dam) हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में सतलुज नदी पर बनाया गया है। यह बाँध भाखड़ा नांगल परियोजना के अंतर्गत निर्मित किया गया है। यह 856 फीट ऊँचे टिहरी बाँध के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊँचा बाँध है। इसकी ऊँचाई 740 फीट है।

  • देश की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना, भाखड़ा नांगल परियोजना को सन 1963 में देश को समर्पित किया गया था। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में सतलुज नदी पर बना भाखड़ा नागल बाँध देश का सबसे लंबा बाँध है। यह टिहरी बाँध के बाद देश का दूसरा सबसे ऊँचा और दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा बाँध है। इससे बड़ा बोल्डर बाँध अमेरिका में है।
  • भाखड़ा नांगल बाँध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ और अमेरिकी बाँध निर्माता हार्वे स्लोकेम के निर्देशन में 1962 में इसका निर्माण पूरा हुआ। 22 अक्टूबर, 1963 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसका शुभारम्भ किया था।
  • इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और बिजली उत्पादन है। इस बाँध पर लगे पनबिजली संयंत्र से 1325 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है, जिससे पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बिजली की आपूर्ति होती है।
  • भाखड़ा नांगल परियोजना के उद्घाटन के समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- ‘भाखड़ा नांगल परियोजना में कुछ आश्‍चर्यजनक है, कुछ विस्‍मयकारी है, कुछ ऐसा है जिसे देखकर आपके दिल में हिलोरें उठती हैं। भाखड़ा पुनरूत्थित भारत का नवीन मन्दिर है और यह भारत की प्रगति का प्रतीक है।’
  • शिवालिक पहाड़ियों के बीच बना भाखड़ा बाँध 740 फीट ऊँचा और 1700 फीट लंबा है। आधार में इसकी चौड़ाई 625 और ऊपर 30 फीट है। वहीं इससे 13 किलोमीटर दूर नीचे स्थित नांगल बाँध 95 फीट ऊँचा और 1000 फीट लंबा है। यह राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है। इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है। इस परियोजना से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, झुंझनू और चुरू ज़िलों के अलावा 250 से अधिक छोटे बड़े गांव और कस्बों को बिजली प्राप्त होती है।


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