मट्टनचेरी महल संग्रहालय
मट्टनचेरी महल संग्रहालय
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विवरण | मट्टनचेरी महल (अक्षांश 9°57' उत्तर देशांतर 76°15' पूर्व) केरल राज्य में एर्नाकुलम से 12 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। |
राज्य | केरल |
नगर | कोच्चि |
स्थापना | मई, 1985 |
प्रसिद्धि | मट्टनचेरी महल की शान वे भित्ति चित्र हैं जो लगभग 300 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में स्थित चरणों में बनाए गए हैं। |
गूगल मानचित्र | |
अन्य जानकारी | 1864 से लेकर बाद तक के कोचीन के राजाओं के मानव आकार वाले चित्र एक विशाल कक्ष में प्रदर्शित किए गए हैं जिसका मूल रूप से राज्याभिषेक कक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है। |
मट्टनचेरी महल संग्रहालय केरल के कोच्चि नगर में स्थित है। मट्टनचेरी महल (अक्षांश 9°57' उत्तर देशांतर 76°15' पूर्व) केरल राज्य में एर्नाकुलम से 12 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। नेदुम्बासेरी अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन निकटतम हवाई अड्डा है। मट्टनचेरी महल पूवी प्रभाव के साथ पुर्तग़ाली वास्तुकला के सबसे पुराने उदाहरणों में से एक है और यह ऐतिहासिक और वास्तुकला की दृष्टि से अद्भुत है।
इतिहास
मट्टनचेरी महल पुर्तग़ालियों द्वारा लगभग 1545 ई. में बनवाया गया था और इस महल के आसपास के क्षेत्र में उनके द्वारा लूटे गए मन्दिर की क्षतिपूर्ति के रूप में पुर्तग़ालियों ने इसे वीर केरल वर्मा को संतुष्ट करने के लिए उसे उपहारस्वरूप भेंट किया था। डचों द्वारा इसकी व्यापक रूप से मरम्मत कराई गई और इसलिए यह महल डच पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इस दो मंजिली चतुष्कोणीय इमारत में लम्बे और बड़े-बड़े कक्ष हैं। केन्द्रीय प्रांगण में शाही परिवार की संरक्षक देवता "पझायान्नूर भगवती" (पझायान्नूर के भगवान) का मंदिर स्थित है। यहां दो और मंदिर हैं जो क्रमश: भगवान कृष्ण और शिव को समर्पित हैं।
विशेषताएँ
- मट्टनचेरी महल की ऊपरी मंजिल में जहां वर्तमान संग्रहालय स्थित है, एक राज्याभिषेक कक्ष, शयनकक्ष, महिला कक्ष, खानपान कक्ष तथा अन्य कमरे मौजूद हैं। यह संग्रहालय वास्तुकला की यूरोपीय और स्वदेशी शैलियों का मिश्रित स्वरूप प्रस्तुत करता है।
- मट्टनचेरी महल की शान वे भित्ति चित्र हैं जो लगभग 300 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में स्थित चरणों में बनाए गए हैं। इनमें रामायण के दृश्य सार स्वरूप दर्शाए गए हैं। शिव, विष्णु, कृष्ण और दुर्गा से जुड़ी पौराणिक गाथाओं के अलावा केरल के समकालीन साहित्य के प्रसंग भी यहां दर्शाए गए हैं।
- राजसी शयन कक्ष में बने भित्ति चित्रों मे रामायण के दृश्य दर्शाए गए हैं, सीढ़ियों पर बने कक्ष में दीवार पर चित्रकारियों का एक और समूह बनाया गया है जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं को दर्शाया गया है। रानियों के लिए बनाए गए नीचे के कक्षों में शिव के साथ पार्वती के विवाह को दर्शाने वाले पंक्ति रेखाचित्र बने हुए हैं और इससे जुड़े हुए कक्ष में कृष्ण लीला और शिव लीला को दर्शाने वाले पांच प्रमुख पैनल हैं।
- वर्तमान संग्रहालय मई, 1985 में स्थापित किया गया था और इसमें कोचीन के राजाओं के चित्र, पालकियाँ, वस्त्र, हथियार, तीन राज क्षत्र, चंदवा, डोलियॉं, तलवार, टिकटें और सिक्के इत्यादि जैसी विभिन्न प्रदर्शनीय वस्तुएं मौजूद हैं।
- 1864 से लेकर बाद तक के कोचीन के राजाओं के मानव आकार वाले चित्र एक विशाल कक्ष में प्रदर्शित किए गए हैं जिसका मूल रूप से राज्याभिषेक कक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है। प्रदर्शित हथियारों में पंखों से सजाए हुए समारोहों मे दिखाए जाने वाले भालों के अलावा म्यान वाली तलवारें, छुरे और कुल्हाड़ियाँ शामिल हैं। तीन विभिन्न दीर्घाओं में डोली समेत कुल पॉंच पालकियॉं प्रदर्शित की गई हैं। इनमें हाथी दॉंत चढ़ी लकड़ी की बनी हुई हाथी दॉंत वाली पालकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
- राजाओं द्वारा समारोहों में पहले जाने वाले खूब गोटे के काम वाले किमख़ाब वाले वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। साथ ही, कोचीन के राजाओं द्वारा पहनी जाने वाली राजसी पगड़ियॉ भी प्रदर्शित की गई हैं।
- डचों द्वारा 17वीं और 18वीं शताब्दियों में बनाई गई कोचीन की महत्वपूर्ण योजनाओं के अलावा, कोचीन के राजाओं द्वारा जारी सिक्के और डाक टिकटें भी प्रदर्शित की गई हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय-कोच्चि (कोचीन) (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 15 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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