मदिरा सवैया
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मदिरा सवैया में 7 भगण (ऽ।।) + गुरु से यह छन्द बनता है, 10, 12 वर्णों पर यति होती है।
- केशव ने इस छन्द का प्रयोग किया है-
सिन्धु तर्यो उनका बनरा,
तुम पै धनु-रेख गयी न तरी।[1]
- तुलसीदास ने भी कवितावली में इस छंद का प्रयोग किया है-
ठाढ़े हैं नौ द्रुम डार गहे, धनु काँधे धरे, कर सायक लै।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।
बाहरी कड़ियाँ
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