मालिनी छन्द
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मालिनी छन्द एक सम वर्ण वृत छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में "न न म य य" अर्थात दो 'नगण' एक 'मगण' और दो 'यगण' के क्रम से 15 वर्ण होते हैं। आठवें और सातवें वर्णों पर यति होती है।
- उदाहरण-
न न म य य
प्रिय पति वह मेरा, प्राण प्यारा कहाँ है।
दुख-जलधि निमग्ना, का सहारा कहाँ है।
अब तक जिसको मैं, देख के जी सकी हूँ।
वह हृदय हमारा, नेत्र तारा कहाँ है।।[1]
- इस पद्य में दो नगण, एक मगण तथा दो यगण के क्रम से 15 वर्ण हैं। अतः यह 'मालिनी छन्द' है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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