मिहरा बरसत वृन्दावन में ।
तन राधा का मस्त लहरिया, भीगा मन मोहन में ।।
छम-छम छम-छम पायल बाजे, चलत चाल श्रीराधे साजे ।
धन्य-धन्य श्रीकृष्ण कलाधर शोभित शुभ नर तन में ।।
मुरलीधर की मुरली बाजी, ग्वाल सखा ब्रज बाला राजी ।
यमुना तट पर खड़ा सांवरा, बिजरी चमकत घन में ।।
मौर पपैया दादुर बोले, भांति-भांति के पक्षी डोले ।
हरी हरियाली, कोयल कूँकत बोले मधुर स्वरन् में ।।
शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली ।
युगल छबि उर बसत हमारे, देखो इन नयनन में ।।