यमल और अर्जुन वे दो वृक्ष थे, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं के अंतर्गत धराशायी कर दिया था।
- 'यमलार्जुन' अर्थात 'यमल और अर्जुन', अपने पूर्व जन्म में 'नलकूबर' और 'मणिग्रीव' नामक यक्ष थे, जो धन के देवता कुबेर के पुत्र थे।
- एक बार ये दोनों मद्य पीकर नग्न अवस्था में नदी में स्त्रियों के साथ क्रीड़ा कर रहे थे। जब वहाँ से नारदजी गुजरे तो स्त्रियों ने लज्जा से अपने तन ढक लिए, किंतु ये दोनों नग्न ही रहे।
- कुबेर के इन दोनों पुत्रों को नारद ने शाप दिया कि वे दोनों वृक्ष बन जायेंगे।
- श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई संकर्षण (बलदेव) के साथ खेलते-कूदते बड़े हुए थे। वे सात वर्ष की अवस्था में गोचारण के लिए जाया करते थे। एक बार मक्खन चुराकर खाने के दंडस्वरूप माँ यशोदा ने उन्हें ऊखल में बाँध दिया। कृष्ण ने उस ऊखल को यमल तथा अर्जुन नामक दो वृक्षों के बीच में फंसाकर इतने ज़ोर से खींचा कि वे दोनों वृक्ष भूमिसात हो गये। इस प्रकार उन वृक्षों पर रहने वाले दो राक्षसों का भी उन्होंने वध किया।
इन्हें भी देखें: यमलार्जुन मोक्ष
|
|
|
|
|