यूरो मानक
उत्सर्जित पदार्थ | ईंधन | यूरो-1 1992 |
यूरो-2 1996 |
यूरो-3 2000 |
यूरो-4 2005 |
यूरो-5 2009 |
यूरो-6 2014 |
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Co | डीज़ल | 2.72 | 1.0 | 0.64 | 0.50 | 0.50 | 0.50 |
पेट्रोल | 2.72 | 1.0 | 0.64 | 0.50 | 0.50 | 0.50 | |
HCN+ HOx |
डीज़ल | 0.97 | 0.7 | 0.56 | 0.30 | 0.23 | 0.17 |
पेट्रोल | 0.97 | 0.7 | 0.56 | 0.30 | 0.23 | 0.17 | |
NOx | डीज़ल | - | - | 0.50 | 0.25 | 0.18 | 0.08 |
पेट्रोल | - | - | 0.050 | 0.025 | 0.18 | 0.08 | |
अन्य पदार्थ | डीज़ल | 0.14 | 0.8 | 0.5 | 0.025 | 0.005 | 0.005 |
पेट्रोल | 0.14 | 0.8 | 0.5 | 0.25 | 0.005 | 0.005 |
वायु की गुणवत्त में सुधार के लिए यूरोपीय संघ द्वारा कुछ मानकों का निर्धारणा किया गया जो यूरो मानक के रूप में जाने गए। यूरो 'यूरोपियन यूनियन स्टैण्डर्स फार पैसेंजर कार' का संक्षिप्त रूप है। मोटर वाहनो से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है, जिसे रोकने के लिए यूरोपीय संघ ने 1992 में यूरो-1 और 1996 में यूरो-2 मानक तथा वर्ष 2000 में यूरो-3 मानक लागू किया है। वायु प्रदूषण रोकने के लिए इन मानकों का पालन आवश्यक है।
यूरो-1 में तीन तथा यूरो-2 में चार प्रदूषक पदार्थों का वर्णन किया गया है। यूरो में चार वायु प्रदूषक पदार्थों में कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड और धूल कण का समावेश किया गया है। धूल कण की गणना यूरो-3 में की जाती है और यह केवल डीजल चलित वाहनों के लिए है। यूरो-1 और यूरो-2 दोनों ही मानकों में सीसा रहित ईंधनो का उपयोग किया जाना अनिवार्य है।
29 अप्रैल, 1999 को भारतीय उच्चतम न्यायालय ने एक लोकहित याचिका पर अपना निर्णय देते हुए यूरो मानकों को पूरा करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह आदेश नहीं दिया था कि 1 अप्रैल, 2000 से ऐसे गैर-वाणिज्यिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में नहीं किया जाना चाहिए, जो यूरो मानकों को पूरा नहीं करते है। इसके अतिरिक्त न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि ऐसे प्राइवेट गैर-वाणिज्यिक वाहन जो यूरो-1 मानकों को पूरा करते हैं, उनका रजिस्ट्रेशन 1 मई, 1999 से 31 मार्च, 2000 तक ही किया जाए। उच्चतम नयायालय ने डीजल चलित वाहनों के लिए 250 वाहन प्रतिमाह की जो सीमा निर्धारित की थी, उसे हटा लिया गया है। इसके अतिरिक्त यह प्रतिबंध संपीडित प्राकृतिक गैस से चलने वाले वाहनों पर नहीं लगाया गया है।
मारुति उद्योग लिपिटेड के वाहन यूरा-1 के मानकों को पूरा नहीं करते थे। इसलिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 1 मई, 1999 से इनका रजिस्ट्रेशन प्रतिबंधित हो गया। ध्यातव्य है कि यूरो-2 मानकों को पूरा करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा सन 2005 निर्धारित किया गया था, जिसे बाद में 1 अप्रैल, 2000 निर्धारित कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि मॉटिज कारों का उत्पादन करने वाली देबू कम्पनी ने दावा किया है कि उसकी कार यूरा-2 के मानको को पूरा करती है। टेल्को कम्पनी ने भी दावा किया है कि उसकी इंडिका कार यूरा-1 के मानकों को पूरा करती है। इसी क्रम में सेंट्रो का उत्पादन करने वाली हुडई मोअर इण्डिया लिमिटेड ने मई 1999 तक यूरो-3 के मानकों को पूरा करने वाले वाहनों के उत्पादन का लक्ष्य रखा था। इसी प्रकार मारुति उद्योग लिमिटेड ने जून, 1999 से यूरो-1 के मानकों को पूरा करने की घोषणा की थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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