राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राज्य का एक शहर, जो मध्य भारत में शिवनाद नदी के 14 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह भूतपूर्व राजनांदगांव रियासत की राजधानी था, जिसे 1948 में दुर्ग ज़िले में शामिल कर लिया गया था। अब यह राजनांदगांव ज़िले का मुख्यालय है।
इतिहास
दुर्ग ज़िले के साथ एकीकृत होने से पहले इस शहर पर महंत राजवंश और गोंड राजाओं का शासन रहा था। शासकों द्वारा ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने के कारण उत्तराधिकारी गोद लिया जाता था। वर्ष 1865 में ब्रिटिश सरकार द्वारा अंतिम शासक घासीदास को सामंत प्रमुख के रूप में मान्यता दी गई और एक सनद या दत्तक लेने का अधिकार प्रदान किया गया। बाद में शासक महंत को ब्रिटिश सरकार द्वारा राजा की पदवी प्रदान की गई और 1891 में प्रशासन का अधिकार भी दे दिया गया।[1]
स्थिति
यह नगर उपजाऊ मैदानी क्षेत्र में स्थित है, जो शिवनाथ नदी की कई छोटी-छोटी सहायक धाराओं द्वारा अपवाहित एक कृषि प्रधान क्षेत्र है।
सम्पर्क मार्ग
एक प्रमुख सड़क जंक्शन व रेलवे स्टेशन राजनांदगांव दक्षिण-पूर्वी रेलवे की कोलकाता (भूतपूर्व कलकत्ता)-मुंबई (भूतपूर्व बंबई) प्रमुख लाइन पर स्थित है और सड़क मार्ग से दुर्ग, रायपुर, नागपुर, अंबागढ़, खैरागढ़ तथा बस्तर से जुड़ा है।
व्यापार तथा कृषि
राजनांदगांव व्यापार और सूती वस्त्रों का केंद्र है। यहां चावल और तिलहन की मिलें हैं। रसायन निर्माण भी यहां होता है।
शिक्षण संस्थान
राजनांदगांव में 'रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय' से संबद्ध अनेक महाविद्यालय, एक विधि कॉलेज समेत, स्थित हैं।
जनसंख्या
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 1,43,,227 तथा ज़िले की कुल जंसंख्या 12,81,811 थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 57 |