सीतानंदी अभयारण्य
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सीतानंदी अभयारण्य मध्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के धमतरी ज़िले में स्थित एक सर्वाधिक प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण वन्य जीव अभयारण्य है। इस अभयारण्य की स्थापना वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत 1974 में की गई थी। अभयारण्य में 556 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में अत्यंत ऊंचे-नीचे पहाड़ और पहाड़ी तराईयाँ हैं, जिनकी ऊंचाई 327-736 मीटर के बीच है।
- यह सुंदर अभयारण्य सीतानंदी नदी के नाम पर बनाया गया है, जो इस अभयारण्य के बीच से बहती है और देवकूट के पास महानदी नामक नदी से जुड़ती है।
- सीतानंदी वन्य जीव अभयारण्य अपने हरे भरे पेड़ पौधों और विशिष्ट तथा विविध जीव जंतुओं के कारण जाना जाता है और यहाँ मध्य भारत का एक उत्कृष्टतम वन्य जीवन बनने की क्षमता है।
- इस अभयारण्य की वनस्पति में मुख्यत: नम पेनिन सुलर साल, टीक और बांस के वन शामिल हैं।
- अभयारण्य के अन्य प्रमुख वृक्ष हैं- सेमल, महुआ, हर्र, बेर, तेंदु। यहाँ की हरी भरी वनस्पति में अनेक प्रकार के वन्य जीवन के उदाहरण मिलते हैं।
- सीतानंदी में पाए जाने वाले प्रमुख वन्य जंतुओं में बाघ, चीते, उड़ने वाली गिलहरी, भेडिए, चार सींग वाले एंटीलॉप, चिंकारा, ब्लैक बक, जंगली बिल्ली, बार्किंग डीयर, साही, बंदर, बायसन, पट्टीदार हाइना, स्लॉथ बीयर, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, नील गाय, गौर, मुंट जैक, जंगली सुअर, कोबरा, अजगर आदि शामिल हैं।
- अभयारण्य में अनेक प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, इसमें से कुछ नाम हैं तोते, बुलबुल, पी फाउल, फीसेंट, क्रीमसन बारबेट, तीतर, ट्रीपाइ, रैकिट टेल्ड ड्रोंगो, अगरेट तथा हेरॉन्स।
- इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बाघ अभयारण्य के रूप में विकसित करने की तैयारी भी की जा रही है।
- सीतानंदी अभयारण्य में जाने पर पर्यटकों को सभी प्रकार के वन्य जीवन का एक मनोरंजक और अविस्मरणीय अनुभव मिलता है, ख़ास तौर पर प्रकृति से प्रेम करने वालों और अन्य जीवन के शौकीन व्यक्तियों को।
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