राम मोहन का जीवन परिचय
राम मोहन का जीवन परिचय
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पूरा नाम | राम मोहन |
जन्म | 2 नवंबर, 1929 |
जन्म भूमि | अंबाला |
मृत्यु | 6 दिसम्बर, 2015 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई |
अभिभावक | पिता- डॉक्टर साधुराम शर्मा और माता- योगमाया शर्मा |
संतान | तीन पुत्र और एक पुत्री |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | सिनेमा जगत |
मुख्य फ़िल्में | 'हरियाली और रास्ता', 'मेरे हुज़ूर', 'तक़दीर', 'शोर', 'किताब', 'जियो तो ऐसे जियो', 'अंगूर', 'सावन को आने दो', 'शान', 'नदिया के पार', 'बंटवारा', 'ग़ुलामी', 'रंगीला' और 'कोयला' |
शिक्षा | बी. ए. |
विद्यालय | जी. एम. एन. कॉलेज, अंबाला |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | राम मोहन 4 साल 'सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन' के उपाध्यक्ष और 6 साल महासचिव पद पर रहे तथा इसके अलावा वो सिनेमा से जुड़े लोगों के हित में कार्यरत विभिन्न एसोसिएशनों में भी सक्रिय रहते थे। |
अद्यतन | 16:54, 30 जून 2017 (IST)
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राम मोहन को नायक या सहनायक के रूप में ज़्यादा मौक़े नहीं मिल पाए, लेकिन बहुत जल्द वो खलनायक और आगे चलकर चरित्र अभिनेता के तौर पर पहचाने जाने लगे। 60 सालों के अपने कॅरियर के दौरान राम मोहन ने 'हरियाली और रास्ता', 'मेरे हुज़ूर', 'तक़दीर', 'शोर', 'किताब', 'जियो तो ऐसे जियो', 'अंगूर', 'सावन को आने दो', 'शान', 'नदिया के पार', 'बंटवारा', 'ग़ुलामी', 'रंगीला' और 'कोयला' सहित क़रीब 240 फ़िल्मों में अभिनय किया।
जीवन परिचय
राम मोहन का जन्म 2 नवंबर, 1929 को अंबाला कैंट में हुआ था। इनके पिता डॉक्टर साधुराम शर्मा मूल रूप से जगाधरी के रहने वाले थे और अंबाला में अपना चिकित्सालय चलाते थे। राम मोहन की माताजी श्रीमती योगमाया शर्मा गृहिणी थीं। ये उनकी इकलौती संतान थे, हालांकि पिता की पहली शादी से भी इनका एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन थे। राम मोहन ने अंबाला के आर्या स्कूल से मैट्रिक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद उसी स्कूल से जुड़े जी. एम. एन. कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा देने के बाद ही ये मुंबई 1949 में चले गये। फ़िल्में देखने का उन्हें बेहद शौक़ था।
परिवार
राम मोहन के तीन बेटे और एक बेटी है। उनकी विवाहिता बेटी दिल्ली में रहती है और उनकी पत्नी, बड़ा और छोटा बेटा मुंबई में और मंझला बेटा अमेरिका में हैं। दोनों बड़े बेटों का अपना व्यवसाय है और छोटा बेटा एयर इंडिया में पायलट है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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