राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र
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अन्य नाम | एनआईसी (NIC) |
उद्देश्य | सरकारी मंत्रालयों तथा विभागों में कम्प्यूटर आधारित निर्णय लेने में सहायक प्रणाली (सूचना-विज्ञान विकास) को शुरू करने के लिए। |
स्थापना | 1976 |
मुख्यालय | नई दिल्ली |
अन्य जानकारी | राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र ने मई, 2003 में एन आई सी मुख्यालय में प्रमाणन प्राधिकरण की प्रतिष्ठापना की है, जिसमें जीव-सांख्यिकी सेंसर से पूर्ण अत्याधुनिक सुरक्षित अवसंरचना और अंतर्राष्ट्रीय मानकों की निगरानी प्रणाली शामिल है। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र अथवा एनआईसी (अंग्रेज़ी:National Informatics Centre) भारत सरकार का एक प्रमुख वैज्ञानिक व तकनीकी संस्थान है जिसकी 1976 में सरकारी क्षेत्र में बेहतर पद्धतियों, एकीकृत सेवाओं तथा विश्वव्यापी समाधानों को अपनाने वाली ई-सरकार/ई-शासन संबंधी समाधानों को प्रदान करने के लिए स्थापना की गयी।
उद्देश्य
वर्ष 1975 में, भारत सरकार ने सामाजिक विकास तथा आर्थिक संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा नियोजन की सुविधा मुहैया कराने हेतु सरकारी मंत्रालयों तथा विभागों में कम्प्यूटर आधारित निर्णय लेने में सहायक प्रणाली (सूचना-विज्ञान विकास) को शुरू करने के लिए तथा सूचना संसाधनों की उपयोगिता तथा सूचना प्रणालियों के विकास हेतु प्रभावी कदम उठाने के लिए उपयुक्त निर्णय लिये। इसके पश्चात्, केन्द्र सरकार ने 1976 में तथा उसके बाद यू.एस. $ 4.1 मिलियन की संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की वित्तीय सहायता से “राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र (एनआईसी)” नामक एक उच्च प्राथमिकता योजना परियोजना तैयार की।
प्रशासन हेतु एन.आई.सी.
हम सूचना प्रौद्योगिकी (आई टी) क्रांति के युग में रहते हैं। विकास की प्रक्रिया में तेज़ीव बदलाव लाने, विशेष रूप से अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने में सूचना प्रौद्योगिकी की शक्ति की सार्वभौमिक स्वीकृति निर्विवाद है। संचार प्रौद्योगिकियों विशेष रूप से इंटरनेट में तेज़ीसे होने वाली उन्नति से सरकार विश्वभर में अल्प सुविधा संपन्न नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाकर उनके अधिकांश दूरस्थ निर्वाचन क्षेत्रों तक पहुँचने में सक्षम हुई है ।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, भारत सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक प्रमुख वैज्ञानिकी व तकनीकी संगठन है जो सरकार में सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) समाधानों के कार्यान्वयन तथा उनके सक्रिय संवर्धन में सबसे आगे है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र ने पिछले तीन दशकों से देश-भर में ई-शासन अभियान चलाने के लिए, जिनके पास सुविधाएं पहुँच नहीं पाती, उन तक सुविधाओं को पहुँचाने के उद्देश्य से सरकार के प्रयासों में सहायता करने तथा बेहतर व अत्यधिक पारदर्शी शासन प्रदान करने हेतु मजबूत नींव बनाने के लिए नेतृत्व किया है।
क्रांतिकारी परिवर्तन
भारत में 1970 के मध्य में जल-संभरण वर्षों में शासन में क्रांतिकारी परिवर्तन करने की घोषणा की गयी। वर्ष 1975 में भारत सरकार ने सरकार में सूचना प्रौद्योगिकी (आई टी) का अनुकूल इस्तेमाल करने हेतु कार्यनीति तैयार की जिससे शासन को अत्यआधिक पारदर्शी व प्रभावोत्पादक बनाकर समग्र विकास को बढ़ावा दिया जा सके। 1976 में आई टी की शक्ति को स्वीकार करते हुए सरकार ने स्थायी महत्व की एक परियोजना अर्थात् “राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र” की शुरुआत की। उसके पश्चात् यूएस $ 4.4 मिलियन की संयुक्त राष्ट्र् विकास कार्यक्रम (यू एन डी पी) की वित्तीय सहायता से राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र की स्थापना की गई।
उपलब्धियाँ
राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र ने केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, संघ शासित राज्य क्षेत्र के प्रशासनों, ज़िलों व अन्य सरकारी निकायों को ई-शासन हेतु प्रभावी सहायता तथा सुदृढ़ संचार आधार प्रदान करने के लिए आई.सी.टी. को उभारा है। यह आई सी टी सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला प्रदान करता है। इसमें निकनेट, भारत सरकार के लगभग 53 विभागों में गेटवे नोड्स की सुविधा रखने वाले एक राष्ट्रव्यापी संचार नेटवर्क, सेवा आई सी टी अनुप्रयोगों के लिए 35 राज्य/राज्यक शासित क्षेत्र के सचिवालय तथा 603 ज़िला कलक्टोरेट शामिल हैं। निकनेट ने विकेन्द्रीकृत आयोजना, सरकारी सेवाओं में सुधार लाने, राष्ट्रीय व स्थानीय सरकारों की व्याकपक पारदर्शिता व लोगों के प्रति उनकी जवाबदेही निभाने में प्रमुख भूमिका अदा की है। केन्द्र तथा राज्य सरकारों के निकट सहयोग से राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र आई सी टी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करता है तथा आई सी टी के सभी क्षेत्रों में इसके प्रयोक्ताओं हेतु अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र के आई. सी. टी. आधारित प्रयासों ने कई वर्षों से मील के पत्थर के समान कार्य करते हुए जिन उम्मीदों के साथ इसकी स्थापना की गयी थी उन अपेक्षाओं को इसने पूरा किया है। जिसे निम्न प्रकार देखा जा सकता है-
- पाँचवी योजना अवधि (अर्थात् 1972-77) के दौरान केन्द्र सरकार के विभागों में अंकीय विभाजन को दूर करने हेतु केन्द्र सरकार के सूचना-विज्ञान विकास कार्यक्रम ने एक सामरिक निर्णय लिया।
- निकनेट - 1980 तथा 1990 के दौरान केन्द्र सरकार के मंत्रालयों तथा विभागों में संसाधनों की भागेदारी तथा इंटरनेट/इंटरानेट पहुँच हेतु अत्याधुनिक वीसैट प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने वाला विकासशील देशों में इस तरह का पहला निकनेट है।
- जन प्रशासन व सामाजिक अनुप्रयोगों में सूचना प्रौद्योगिकी
- सातवीं योजना अवधि (अर्थात् 1985-1990) के दौरान केन्द्र तथा राज्य सरकारों/संघ-राज्य क्षेत्र के प्रशासनों में अंकीय विभाजन पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार के सूचना-विज्ञान विकास कार्यक्रम का सामरिक निर्णय लिया।
- ज़िला प्रशासनों में अंकीय विभाजन पर काबू पाने के लिए 1985 में डिसनिक एक निकनेट आधारित ज़िला सूचना-विज्ञान कार्यक्रम का एक सामरिक निर्णय लिया।
- इंटरनेट प्रौद्योगिकी के आगमन से पहले 1985-1990 के दौरान यह भारत में देश के सभी ज़िलों, जो कि विविधता का देश है जिसके विभिन्न प्रकार के भू-भाग हैं, विभिन्न प्रकार की कृषि विषयक जलवायु की स्थितियां, विभिन्न स्तर की सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ तथा विभिन्न स्तरों का क्षेत्रीय विकास आदि की परिस्थितियों वाले भागों में भी पहुँच रहा है।
- वीडियो कांफ्रेंसिंग प्रचालन कार्यों की सर्वप्रथम शुरुआत सन 1990 से पूर्व हुई तथा अब इसे 490 स्थानों के साथ जोड़ा गया है।
- नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर सर्विसिज़ इंक (निकसी) की स्थापना राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र के अधीन धारा 25 कंपनी के रूप में की गयी। निकसी को सूचना प्रौद्योगिकी समाधानों तथा सेवाओं की सम्पूर्ण श्रेणी की आउटसोर्सिग करने हेतु सरकारी विभागों द्वारा वरीयता दी जाती है।
- इंडिया इमेज पोर्टल भारतीय सरकारी सूचना का एक गेटवे है जिसका उद्देश्य सरकारी मंत्रालयों तथा विभागों को व्यापक WWW सेवाओं को प्रदान करना है। इस परियोजना के अंतर्गत भारत सरकार की 5000 से भी अधिक वेबसाइट होस्ट की जा रही हैं।
- इंडिया इमेज पोर्टल का महत्त्वपूर्ण परिणाम जो सहस्त्राब्दी के प्रारंभिक वर्षों में आया, वह भारत सरकार की निर्देशिका है जो अपने तरह की सर्वप्रथम व्यापक निर्देशिका है जो सभी स्तरों पर भारत सरकार की वेबसाइटों के बारे में सूचना प्रदान करती है।
- इसके साथ ही वर्ष 2005 के बाद इंडिया इमेज पोर्टल में सभी सेवाओं तथा वेबसाइटों को शहरियों को सिंगल-विंडो पहुँच की सुविधा प्रदान करने के लिए एक इंटरफेस के अंतर्गत लाया गया। यह भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर उपलब्ध है ।
- एकीकृत नेटवर्क प्रचालन केन्द्र (आईएनओसी) को 2002 में देश में सभी वॉन लिंको की हर समय निगरानी करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
- राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र का डाटा केन्द्र वर्ष 2002 में स्थापित किया गया जो लगभग 5000 वेबसाइटों तथा पोर्टलों को होस्ट करता है। डाटा केन्द्र जो उनकी स्थानीय भंडारण आवश्यकताओं के लिए राज्य की राजधानियों में स्थापित किये गये हैं उनमें 2-10 टेरा बाइट्स की भंडारण क्षमता है। राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र को वर्ष 2002 में शुरू की गयी सी ए सेवाओं तथा जी2जी डोमेन में प्रमाणन प्राधिकरण (सी ए) के रूप में कार्य करने के लिए लाइसेंस दिया गया है।
- राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र को वर्ष 2002 में शुरू की गयी सी ए सेवाओं तथा जी2जी डोमेन में प्रमाणन प्राधिकरण (सी ए) के रूप में कार्य करने के लिए लाइसेंस दिया गया है।
- एन आई सी ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का तीव्र गति से तथा उसका प्रभावी कार्यान्वयन करने हेतु सरकार को सहायता प्रदान करने के लिए सूचना के अधिकार पोर्टल की स्थापना की।
- कुछ वर्षों में राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र ने केन्द्र सरकार के सभी कार्यालयों तथा राज्य सरकार के सचिवालयों में 3000 से भी अधिक नोडो वाले उपग्रह आधारित व्यापक क्षेत्र के नेटवर्क तथा स्थानीय क्षेत्र के नेटवर्क के 60,000 से अधिक नोडो का विस्तार किया है।
- न्यूनतम कार्यसूची
ई-शासन लागू करने के एक प्रमुख कदम के रूप में एन आई सी एतद्वारा केन्द्र सरकार द्वारा यथा घोषित निम्नलिखित न्यूनतम कार्यसूची को कार्यान्वित करता है:
- इंटरनेट/इंटरानेट अवसंरचना (पर्सनल कम्प्यूटर, ऑफिस उत्पादकता उपस्कर, कार्य-आवंटन तथा कार्यालय पद्धतियों पर पोर्टल)।
- प्रशिक्षण के माध्यम से अधिकारियों/पदाधिकारियों का आई टी सशक्तिकरण।
- जी2जी, जी2बी, जी2सी, जी2ई पोर्टलों को शामिल करते हुए आई टी समर्थित सेवायें क्षेत्रीय विकास हेतु आई टी योजनायें।
- पुन:इंजीनियरिंग कार्य प्रक्रिया।
वर्तमान आधुनिक सेवाओं की रूपरेखा
- अंकीय संग्रह व प्रबंधन
- अंकीय पुस्तकालय
- ई-वाणिज्य
- ई-शासन
- भौगोलिक सूचना प्रणाली
- सरकारी कर्मचारियों हेतु आई टी प्रशिक्षण
- नेटवर्क सेवायें (इंटरनेट, इंटरानेट)
- वीडियो कांफ्रेंसिंग
- वेब सेवायें
- सामान्य सूचना-विज्ञान सेवायें
- चिकित्सा सूचना-विज्ञान
- ग्रंथ-सूची सेवायें
- बौद्धिक संपदा तथा सामान्य जानकारी सूचना-विज्ञान सेवायें
- डाटा केन्द्रों की स्थापना
- गिगाबाइट आधार का विनिर्माण
- आई टी परामर्शदायी सेवायें
- सद्य:परिचालित आई टी समाधान
भारत सरकार, सरकारी कार्यकलापों के विभिन्न स्तरों पर ई-शासन को कार्यान्वित कर रही है, एन आई सी आवश्यक पी के आई प्लेटफार्म प्रदान कर एक मुख्य भूमिका निभा रहा है। देश में एक नोड्ल आई टी संगठन होने के नाते राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र ने मई, 2003 में एन आई सी मुख्यालय में प्रमाणन प्राधिकरण की प्रतिष्ठापना की है, जिसमें जीव-सांख्यिकी सेंसर से पूर्ण अत्याधुनिक सुरक्षित अवसंरचना और अंतर्राष्ट्रीय मानकों की निगरानी प्रणाली शामिल है। प्रमाणन प्राधिकरण (सी ए) एक विश्वसनीय तीसरी पार्टी या एक सत्ता है जिसे प्रमाणन प्राधिकरण नियंत्रक (सीसीए) जो पहचान की संपुष्टि और अंकीय हस्ताक्षर प्रमाणपत्रों को जारी करने के लिए देश में प्रमाणन प्राधिकारियों के लिए शीर्ष विनियामक निकाय है, द्वारा लाइसेंस प्रदान किया गया है। एन आई सी ने उसी के प्रचालन के लिए अत्यंत दक्ष और प्रशिक्षित जनशक्ति को तैनात किया है और उत्कृष्ट लोजिस्टिक सहायता प्रदान की है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र,भारत सरकार का प्रमुख आईसीटी संगठन (हिन्दी) एनआईसी। अभिगमन तिथि: 18 सितंबर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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