विश्व कप फ़ुटबॉल 1938
विश्व कप फ़ुटबॉल 1938
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विवरण | 'फ़ीफ़ा विश्व कप' का आयोजन 'फ़ीफ़ा' (फ़ेडरेशन ऑफ़ इंटरनेशनल फ़ुटबॉल एसोसिएशन) द्वारा कराया जाता है। तीसरा विश्व कप फ़ुटबॉल वर्ष 1938 में खेला गया था, जिसकी मेज़बानी फ़्राँस ने की थी। |
वर्ष | 1938 |
तिथि | 2 जून से 19 जून |
कुल देश | 15 |
फ़ाइनल | इटली तथा हंगरी के मध्य। |
विजेता | इटली |
कुल मैच | 18 |
कुल गोल | 84 |
दर्शक | 3,75,7000 |
अन्य जानकारी | पहले दौर के पाँच मैचों का फ़ैसला अतिरिक्त समय में हुआ, जबकि दो मैच दोबारा खेले गए। इस प्रतियोगिता में ब्राज़ील के लियोनिडस का खेल देखने लायक़ था। 'द ब्लैक डायमंड' के रूप में मशहूर लियोनिडस ने कई बेहतरीन गोल दाग़े। |
अद्यतन | 02:05 4 अगस्त, 2016 (IST) |
विश्व कप फ़ुटबॉल 1938 अथवा फ़ीफ़ा विश्व कप 1938 (अंग्रेज़ी: FIFA World Cup 1938)
वर्ष 1938 में विश्व कप फ़ुटबॉल की मेज़बानी फ़्राँस को मिली। यह लगातार दूसरी बार था, जब विश्व कप की मेज़बानी किसी यूरोपीय देश को मिली थी। फ़ुटबॉल के इस महासंग्राम में 15 टीमों ने हिस्सा लिया। फ़ाइनल मैच इटली और हंगरी के मध्य खेला गया था, जिसमें इटली ने हंगरी को 4-2 से हराकर लगातार दूसरी बार ख़िताब पर अधिकार कर लिया। इस विश्व कप के 15 महीने के अंदर दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया था और 12 साल तक यह प्रतियोगिता आयोजित नहीं हो पाई।
दक्षिण अमरीकी देशों की नाराज़गी
सन 1938 में फ़्राँस को विश्व कप फ़ुटबॉल की मेज़बानी दी गई थी। फ़ीफ़ा के इस फ़ैसले से दक्षिणी अमरीकी देश काफ़ी नाराज़ हुए। उनकी मांग थी कि विश्व कप की मेज़बानी बारी-बारी से यूरोप और दक्षिणी अमरीकी देशों को मिले। इस फ़ैसले के विरोध में अर्जेंटीना और उरुग्वे ने प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया।
दूसरे विश्व युद्ध की छाया में इस बार का विश्व कप हो रहा था। स्पेन में गृह युद्ध चल रहा था। इटली ने इथियोपिया पर आक्रमण कर दिया था और जर्मनी ने ऑस्ट्रिया को अपने में मिला लिया था। माना जाता है कि जिस तरह 1934 के विश्व कप का इस्तेमाल मुसोलिनी ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए किया, उसी तरह हिटलर ने 1938 के विश्व कप का इस्तेमाल किया।
सम्मिलित देश
यह पहला मौक़ा था, जब मेज़बान देश और पिछली विजेता टीम को विश्व कप में सीधे प्रवेश मिला। इस बार विश्व कप में 15 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया।
मैच
पहले दौर के पाँच मैचों का फ़ैसला अतिरिक्त समय में हुआ, जबकि दो मैच दोबारा खेले गए। इस प्रतियोगिता में ब्राज़ील के लियोनिडस का खेल देखने लायक़ था। 'द ब्लैक डायमंड' के रूप में मशहूर लियोनिडस ने कई बेहतरीन गोल दाग़े। लेकिन सेमी फ़ाइनल में उन्हें आराम देने का टीम प्रबंधन का फ़ैसला आत्मघाती साबित हुआ। लियोनिडस की अनुपस्थिति में ब्राज़ील की टीम सेमी फ़ाइनल में इटली से हार गई। जबकि दूसरे सेमी फ़ाइनल में हंगरी ने स्वीडन को 5-1 से हराया। तीसरे स्थान के लिए हुए मैच में लियोनिडस की ब्राज़ील की ओर से वापसी हुई और ब्राज़ील की शानदार जीत भी हुई। ब्राज़ील को तीसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा।
विश्व कप का ख़िताब
फ़ाइनल मैच में इटली का सामना था हंगरी से, जिसके खिलाड़ी कमोबेश उनकी तरह की फ़ुटबॉल खेलते थे। पेरिस में हुए इस मैच में इटली ने पहले बढ़त हासिल की, लेकिन जल्द ही हंगरी ने स्कोर बराबर कर दिया। इटली ने जल्द ही एक बार फिर बढ़त हासिल कर ली। पहले हाफ़ की समाप्ति पर इटली की टीम 3-1 से आगे थी। आख़िरकार इटली ने 4-2 से जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार विश्व कप जीतने वाली पहली टीम बनने का गौरव हासिल किया।
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