संविधान संशोधन- 75वाँ
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संविधान संशोधन- 75वाँ
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विवरण | 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है। |
संविधान लागू होने की तिथि | 26 जनवरी, 1950 |
75वाँ संशोधन | 1994 |
संबंधित लेख | संविधान सभा |
अन्य जानकारी | 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है। |
भारत का संविधान (75वाँ संशोधन) अधिनियम, 1994
- भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
- इन दिनों विभिन्न राज्यों में जो किराया नियंत्रण क़ानून लागू हैं, उनमें कई खामियाँ हैं, जिनके कारण अनेक अवांछनीय परिणाम हो रहे हैं।
- किराया नियंत्रण क़ानूनों के कुछ वैधानिक दुष्परिणाम हैं-लगातार बढ़ती हुई मुकदमेबाजी, न्यायलायों द्वारा समय पर न्याय न दे पाना, किराया नियंत्रण क़ानूनों से बचने के तरीके निकालना और किराए के लिए मिल सकने वाले मकानों की निरंतर कमी।
- उच्चतम न्यायालय ने देश में किराया नियंत्रण क़ानूनों की अनिश्चित और तर्करहित स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभाकरण नय्यर और अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य (सिविल रिट पेटीशन संख्या 506 ऑफ़ 1986) तथा अन्य रिट याचिकाओं के संर्दभ में यह विचार प्रकट किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को किराया क़ानूनों के जबर्दस्त भार से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।
- इन मुकदमों में अपील करने के अवसर कम कर दिए जाने चाहिए।
- किराया नियंत्रण क़ानून, सरल, विवेकपूर्ण और स्पष्ट होने चाहिए।
- मुकदमेबाजी जल्दी ही अवश्य समाप्त हो जानी चाहिए।
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