सहारा रेगिस्तान या 'ग्रेट सहारा रेगिस्तान' विश्व का सर्वाधिक गर्म और अंटार्कटिका के बाद दूसरा सबसे विशाल रेगिस्तान है। यह उत्तरी अफ़्रीका में स्थित है। यह रेगिस्तान इतना बड़ा है कि विश्व की समस्त मरुभूमि का यह आधा भाग है। माना जाता है कि किसी समय सहारा हरा-भरा क्षेत्र हुआ करता था और उसके कुछ भाग पर सागर लहराता था। इस रेगिस्तान में चलने वाली हवाएँ अपने साथ धूल और बालू की विशाल मात्रा लेकर आती हैं। हालाँकि यहाँ वनस्पतियाँ कम ही उगती हैं, फिर भी यहाँ के जीव ऊँट, भेड़ और बकरी आदि के लिए पर्याप्त हैं। सहारा रेगिस्तान के कुछ इलाके अभी भी अनजानें ही हैं, तथापि 'नखलिस्तान' और 'खदानी' आदि क्षेत्रों के लिए वायुयान और मोटर कार आदि की सुविधा उपलब्ध है।[1]
विस्तार
सहारा रेगिस्तान 90,00,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो लगभग संयुक्त राज्य अमेरीका के क्षेत्रफल के बराबर है। पृथ्वी का सबसे विशाल रेगिस्तान सहारा ही है, जो उत्तरी अफ़्रीका के अधिकांश क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अटलांटिक महासागर से नील नदी या लाल सागर तक विस्तृत है। यह संसार की समस्त मरुभूमि का आधा भाग है। अरबी भाषा में 'सहार' का अर्थ 'रेगिस्तान' होता है। 'सहारा' शब्द बहुवचन है। वास्तव में सहारा एक नहीं अपितु अनेक रेगिस्तानों का नाम है। सहारा रेगिस्तान उत्तरी अफ़्रीका में स्थित है। इस रेगिस्तान के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र, चट्टानी क्षेत्र, मिट्टी और कंकर से ढके मैदान, नमक के क्षेत्र तथा रेत के विशाल टीले उपस्थित हैं। भूगर्भीय प्रमाणों के अनुसार सहारा किसी समय में वनस्पति से परिपूर्ण क्षेत्र था तथा उसका कुछ भाग सागर के अंदर था।
प्राकृतिक दशाएँ
विश्व के विषम जलवायु वाले क्षेत्रों में सहारा रेगिस्तान भी शामिल है। सहारा रेगिस्तान के विभिन्न भागों में औसतन वर्षा 20 से 400 मि.मी. तक होती है, जबकि इसके कुछ अन्य भागों में अनेक वर्षों तक वर्षा नहीं होती है और यहाँ के हालात और भी बुरे हो जाते हैं। यह रेगिस्तान गर्म स्थान है। 13 दिसम्बर, 1922 में इस रेगिस्तान में स्थित लीबिया के अजीजिया क्षेत्र में सर्वाधिक तापमान 580 सेल्सियस मापा गया था।
सहारा रेगिस्तान में आने वाले तूफ़ान अक्सर स्थानीय होते हैं, जो क़रीब 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले छोटे क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। सहारा की मौसम प्रणाली में तेज तथा अनिश्चित हवाएँ जटिल होती हैं। इनका नाम 'खमसिन', 'सिरोक्कू', 'शहली' और 'सिमोन' हैं, जो दिन के पिछले भाग में बहती हैं। ये हवाएँ अपने साथ धूल और बालू की विशाल मात्रा लाती हैं। इस कारण यहाँ रेत के बहुत बड़े-बड़े टीलों का निर्माण होता है।[1]
दृश्यावली
इस रेगिस्तान का मुख्य भाग पठार क्षेत्र है, जिसके मध्य पर्वतों के शिखर की ऊँचाई 3,415 मी. तक है। इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों जैसे कि उत्तर-पूर्व में स्थित लीबिया रेगिस्तान में रेतीले टीलों की भरमार है। सहारा रेगिस्तान की दृश्यावली मुख्य रूप से तेज हवाओं द्वारा चट्टानों व रेत की टीलों की स्थापना व विस्थापना से परिवर्तित होती है।
लगभग 5000-10000 वर्ष पहले सहारा एक जलयुक्त नम स्थान हुआ करता था, लेकिन ईसा से लगभग 3000 वर्ष पहले से यह एक शुष्क क्षेत्र में परिवर्तित होने लगा था। यूँ तो सहारा रेगिस्तान में वनस्पतियाँ कम ही हैं, लेकिन फिर भी अधिकतर हिस्सों में 'यायावर' लोगों के लिए ऊँट, बकरी और भेड़ें पालने के लिए पर्याप्त हैं। इस छोटी आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने में यहाँ उपस्थित 'नखलिस्तान' पर्याप्त हैं।
आवागमन
सहारा रेगिस्तान में पहले अन्वेषी यात्री के रूप में फ़ैड्रिक होर्नमेन का नाम है, जिन्होंने 1805 में इस स्थान की यात्रा की थी। फ़ैड्रिक होर्नमेन के बाद मुंगो पार्क ने 1806 में सहारा रेगिस्तान की यात्रा की। अभी भी सहारा के अनेक क्षेत्र लगभग अनजानें ही हैं। लेकिन इस रेगिस्तान के अधिकांश क्षेत्रों के लिए, विशेष रूप से नखलिस्तान तथा खदानी क्षेत्रों के लिए, वायुयान तथा मोटर गाड़ियों की सुविधा उपलब्ध हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 संसार के विशाल रेगिस्तान (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 22 जुलाई, 2012।
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