सूर्यबाला
सूर्यबाला (जन्म- 1943, वाराणसी) हिन्दी की आधुनिक उपन्यासकार और कहानीकार हैं। समकालीन कथा साहित्य में सूर्यबाला का लेखन विशिष्ट महत्व रखता है। समाज, जीवन, परंपरा, आधुनिकता एवं उससे जुड़ी समस्याओं को सूर्यबाला एकदम खुली, मुक्त एवं नितांत निजी दृष्टि से देखने की कोशिश करती हैं। उनमें किसी विचारधारा के प्रति न अंध-श्रद्घा देखने को मिलती है और न ही एकांगी विद्रोह।
जन्म तथा शिक्षा
वर्ष 1943 में वाराणसी में जन्मी सूर्यबाला जी ने 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' से हिन्दी साहित्य में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
लेखन कार्य
सूर्यबाला का पहली कहानी वर्ष 1972 में प्रकाशित हुई थी, जबकि पहला उपन्यास 'मेरे संधिपत्र' 1975 में बाज़ार में आया। सूर्यबाला जी की अब तक 19 से भी ज़्यादा कृतियाँ, पाँच उपन्यास, दस कथा संग्रह, चार व्यंग्य संग्रह के अलावा डायरी व संस्मरण, प्रकाशित हो चुके हैं।
- प्रमुख कृतियाँ
- 'मेरे संधि पत्र'
- 'सुबह के इंतज़ार तक'
- 'अग्निपंखी'
- 'यामिनी कथा'
- 'दीक्षांत'
पुरस्कार व सम्मान
सूर्यबाला को 'प्रियदर्शिनी पुरस्कार', 'व्यंग्य श्री पुरस्कार' और 'हरिशंकर परसाई स्मृति सम्मान' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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