कौशल किशोर
कौशल किशोर
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पूरा नाम | कौशल किशोर |
जन्म | 25 जनवरी, 1960 |
जन्म भूमि | गाँव बेगरिया, तहसील मोहनलाल गंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश |
पति/पत्नी | जय देवी |
संतान | चार |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | राज्य मंत्री, शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय- 7 जुलाई, 2021 से |
संबंधित लेख | नरेन्द्र मोदी का मंत्रिमण्डल, नरेन्द्र मोदी |
अद्यतन | 14:10, 18 जुलाई 2021 (IST)
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कौशल किशोर (अंग्रेज़ी: Kaushal Kishore, जन्म- 25 जनवरी, 1960) भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिज्ञ और 16वीं लोकसभा के सांसद हैं। साल 2014 के चुनावों में वे उत्तर प्रदेश की मोहनलाल गंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए थे। 7 जुलाई, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमण्डल में विस्तार तथा फेरबदल के बाद कौशल किशोर को 'शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय में राज्य मंत्री' बनाया गया है।
परिचय
कौशल किशोर उत्तर प्रदेश के मोहनलालगंज से बीजेपी सांसद हैं। अपने 30 सालों के राजनीतिक करियर में कौशल किशोर दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं और वह साल 2003-2004 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। कौशल किशोर का जन्म यूपी के बेगरिया गांव, लखनऊ में ही सन् 1960 में हुआ था। 61 साल के हो चुके कौशल किशोर को हाल ही में बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा का राज्य प्रमुख बनाया गया था। वह साल 2002 से 2007 तक उत्तर प्रदेश में विधायक भी रह चुके हैं। कौशल किशोर पासी समुदाय से आते हैं। उनको अनुसूचित जातियों में गहरी पैठ वाला नेता माना जाता है।[1]
खास बात यह है कि हाल ही में कौशल किशोर ने उत्तर प्रदेश में कोरोना प्रबंधन ठीक न होने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को निशाने पर लिया था। दरअसल, कौशल किशोर ने इसी साल (अप्रैल, 2021) में कोरोना की वजह से अपने भाई को खो दिया था। इसके बाद उन्होंने सीएम योगी को चिट्ठी लिखकर दो सरकारी अस्पतालों में कुप्रंबधन पर सवाल खड़े किए थे।
बहादुरी की मिसाल
लखनऊ के मोहनलाल गंज तहसील के बेगरिया गांव में जन्में कौशल किशोर पासी जाति के किसान परिवार से आते हैं। बचपन में ज्यादा पैसे न होने के कारण उनके पास बहुत सीमित साधन थे। पढ़ाई-लिखाई में एवरेज, लेकिन अपनी ईमानदारी और जिज्ञासु दिमाग के लिए कौशल किशोर खूब चर्चित थे। उनके गांव वाले उन्हें बहादुरी की मिसाल मानते हैं। वे कहते थे कि कोई भी कौशल का सामना करने की हिम्मत नहीं कर सकता, क्योंकि वह हमेशा सच और सही के लिए खड़े रहते हैं।
अन्याय विरोधी
बताया जाता है कि उनके माता-पिता उनकी चिंता में ही रहते थे, क्योंकि कौशल सच की लड़ाई के लिए किसी से भी भिड़ जाया करते थे। वे उन छात्रों के साथ हमेशा खड़े रहते थे, जो कमजोर या किसी भी प्रकार के शोषण और भेदभाव के अधीन थे। बचपन में जब उनसे पूछा जाता था कि वह खुद लड़ाई को न्योता देकर घरवालों की परेशानी क्यों बढ़ाते हैं, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता था। लेकिन अब कौशल किशोर कहते हैं कि यह उनकी न्याय की भावना थी जो उन्हें उन लोगों से मुकाबला करने के लिए प्रेरित करती थी। यह भी बताया जाता है कि अगर पिता उनकी माता पर आवाज उठा भी दें तो कौशल उन्हें भी रोकते थे। कौशल किशोर अन्याय होते नहीं देख सकते थे।[2]
किसानों के मददगार
लखनऊ के कालीचरण इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद कौशल किशोर ने सी.आर. डिग्री कॉलेज में एडमिशन लिया। हालांकि, वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके क्योंकि वह पारिवारिक बीमारी, और मजदूरों और किसानों की मदद में शामिल हो गए थे।
संघर्षों भरा जीवन
जिस गांव में कौशल किशोर का जन्म हुआ, वहां पक्की सड़क और बिजली की सुविधा नहीं थी। ऐसे में वह अक्सर प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय नेताओं के पास जाते थे और इस मुद्दे पर और गांव के उत्थान पर बात करते थे। कौशल किशोर का बचपन काफी संघर्ष भरा रहा। वह शिक्षा ग्रहण करने के लिए 20 किलोमीटर पैदल जाते थे। साल 1977 में, 12वीं कक्षा में जब उन्हें स्कॉलरशिप मिली, तब जाकर कौशल किशोर ने एक साइकिल खरीदी। अपनी मेहनत और लगन से आज राजनीति में उनका बड़ा नाम है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कोरोना काल में योगी सरकार पर उठाए थे सवाल (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 18 जुलाई, 2021।
- ↑ मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर ने ली मंत्री पद की शपथ (हिंदी) zeenews.india.com। अभिगमन तिथि: 18 जुलाई, 2021।
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