हरियाणा दिवस
हरियाणा दिवस
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राजधानी | चंडीगढ़ |
राजभाषा(एँ) | हिन्दी भाषा |
स्थापना | 1 नवंबर, 1966 |
जनसंख्या | 2,53,53,081 |
· घनत्व | 477 /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 44,212 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 30°44′N 76°47′E |
· ग्रीष्म | 50 °C |
· शरद | 1 °C |
ज़िले | 21 |
सबसे बड़ा नगर | फ़रीदाबाद |
बड़े नगर | गुड़गांव, फ़रीदाबाद |
मुख्य ऐतिहासिक स्थल | कुरुक्षेत्र |
मुख्य पर्यटन स्थल | हिसार, गुड़गांव, पिंजौर, पानीपत, कुरुक्षेत्र |
लिंग अनुपात | 1000:861 ♂/♀ |
राज्यपाल | कप्तान सिंह सोलंकी[1] |
मुख्यमंत्री | मनोहर लाल खट्टर |
विधानसभा सदस्य | 90 |
लोकसभा क्षेत्र | 10 |
राज्यसभा सदस्य | 5 |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 14:28, 26 अक्टूबर 2014 (IST)
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हरियाणा दिवस प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को मनाया जाता है। कभी रेतीले और कीकर के जंगलों के लिए पहचाना जाने वाला हरियाणा अब काफ़ी समृद्ध हो गया है। प्रदेश के इतिहास पर गौर करें तो हरियाणा 1 नवंबर, 1966 को अस्तित्व में आया था। कांग्रेस के भगवत दयाल शर्मा पहले मुख्यमंत्री बने। यह वह समय था, जब हरियाणा के पास विरासत में केवल कीकर और रेतीले और बंजर सरीखे इलाके थे। बुनियादी सुविधाएं न के बराबर थीं। विकास की बुनियाद की तरफ हरियाणा आगे बढ़ा। सियासी करवटें भी इसी हिसाब से बनती-बदलती रहीं। इसी दौरान यह छोटा सा सूबा अपने राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण सुर्खियों में भी रहा।
पूर्ण राज्य का दर्जा
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में हरियाणा के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है, जिसमें से प्रमुख हैं- चौधरी देवी लाल, अरुणा आसफ़ अली, बंसीलाल, सुचेता कृपलानी। सन् 1857 का संग्राम दबाने के बाद ब्रिटिश शासन के पुन: स्थापित होने पर अंग्रेज़ों ने झज्जर और बहादुरगढ़ के नवाब, बल्लभगढ़ के राजा और रेवाड़ी के राव तुलाराम के क्षेत्र या तो ब्रिटिश शासन में मिला लिए या अंग्रेज़ों ने पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिये और इस प्रकार हरियाणा पंजाब प्रांत का भाग बन गया। 1 नवंबर, 1966 को पंजाब प्रांत के पुनर्गठन के पश्चात् हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरित कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। 'भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन' के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक् हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी 'हरियाणा विकास समिति' ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था।
1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबी भाषा सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिन्दीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबी भाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक् राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है।
राजनीतिक हलचल
मिसाल के तौर पर आया-राम, गया-राम के रूप में दलबदल की राजनीति के लिए भी यह सूबा पूरे देश में पहचाना गया। इसका जनक पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल को माना जाता है और ठीक उसी तरह सख्त प्रशासन के लिए स्व. बंसीलाल और चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। इसी तरह इनसे पहले किसानों और गरीबों के बीच लोकप्रिय रहे चौधरी देवीलाल की राजनीति भी पूरे देश की नजरों में रही।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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