अटल भूजल योजना (अंग्रेज़ी: Atal Bhujal Yojana) भारत सरकार की योजना है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती (25 दिसम्बर, 2019) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अटल भूजल योजना’ (अटल जल) की शुरुआत की। इससे सात राज्यों के 8,350 गांवों को फायदा होगा। ये राज्य गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश हैं। प्राथमिकता की पहचान वाले क्षेत्रों में सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भू-जल प्रबंधन में सुधार लाना इस योजना का उद्देश्य है।
योजना अवधि
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी कि भारत में भूजल भंडार के लगातार कम होने की चिंता को दूर करने के लिये विश्व बैंक ने 'अटल भूजल योजना' के तहत 6,000 करोड़ रुपए की सहायता देने की मंज़ूरी प्रदान कर दी है। यह योजना 2018-2019 से 2022-2023 तक पाँच साल की अवधि में लागू की जानी है।[1]
इस योजना के कार्यान्वयन से 7 राज्यों के 78 जिलों की लगभग 8,350 ग्राम पंचायतों को लाभ मिलने की उम्मीद है। अटल जल मांग पक्ष प्रबंधन पर प्राथमिक रूप से ध्यान देते हुए ग्राम पंचायत के नेतृत्व में भू-जल प्रबंधन और व्यावहारिक परिवर्तन को बढ़ावा देगा। अटल भूजल योजना पर 6000 करोड़ रुपये के कुल खर्च में 50 फीसदी विश्व बैंक ऋण के रूप में होगा और शेष 50 फीसदी नियमित बजटीय सहायता से केन्द्रीय मदद के रूप में होगा। राज्यों को विश्व बैंक का पूरा ऋण घटक और केन्द्रीय मदद, अनुदान के रूप में दी जाएगी।[2]
प्राथमिक क्षेत्र
इस योजना के तहत पहचान किये गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। ये राज्य भारत के कुल भूजल के दोहन के संदर्भ में 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं जहाँ अत्यधिक दोहन वाले, अत्यधिक जोखिम तथा कम जोखिम वाले ब्लॉक हैं।
भूजल संसाधनों का दोहन
भारत के भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया गया है जिसके कारण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी-
- 2011 में किये गए नमूना मूल्यांकन के अनुसार, भारत के 71 ज़िलों में से 19 में भूजल का अत्यधिक दोहन किया गया। जिसका अर्थ है कि जलाशयों की प्राकृतिक पुनर्भरण की क्षमता से अधिक जल की निकासी की गई है।
- 2013 में किये गए आकलन के अनुसार, जिसमें ज़िलों के ब्लाकों को शामिल किया गया और पाया गया कि यहाँ का 31 प्रतिशत जल खारा हो गया था।
निधि उपयोग
विश्व बैंक से मिलने वाली यह निधि राज्यों में भूजल के लिये काम करने वाले संस्थानों को उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही भूजल को बढ़ावा देने के लिये सामुदायिक सहभागिता में वृद्धि की जाएगी।
योजना
- वर्ष 2016-2017 के केंद्रीय बजट में ‘राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना’ की घोषणा की गई थी।[1]
- मई 2017 में व्यय वित्त समिति द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया था। लेकिन बाद में इस योजना को ‘अटल भूजल योजना’ के रूप में पुनः नामकरण कर फिर से शुरू किया गया।
- इस योजना का क्रियान्वयन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
- अटल भूजल योजना का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से देश के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में भूजल प्रबंधन में सुधार करना है।
- इस योजना में विश्व बैंक और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50:50 की है।
- यह योजना गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जल की कमी वाले क्षेत्रों हेतु प्रस्तावित है।
- इस योजना के अंतर्गत इन प्रदेशों के 78 ज़िलों, 193 ब्लॉकों और 8350 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है।
- केंद्रीय भूजल बोर्ड की विगत वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 6584 भूजल ब्लॉकों में से 1034 ब्लॉकों का अत्यधिक उपयोग हुआ है। सामान्यतः इन्हें ‘डार्क ज़ोन’ (पानी के संकट की स्थिति) कहा जाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अटल भूजल योजना (हिंदी) drishtiias.com। अभिगमन तिथि: 4 अक्टूबर, 2020।
- ↑ PM मोदी ने शुरू की अटल भूजल योजना (हिंदी) financialexpress.com। अभिगमन तिथि: 6 अक्टूबर, 2020।
संबंधित लेख